नाग पंचमी-निबंध-1

Started by Atul Kaviraje, August 21, 2023, 05:02:32 PM

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Atul Kaviraje


                                      "नाग पंचमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२१.०८.२०२३-सोमवार है. आज "नाग पंचमी" है. नागपंचमी सावन महीने की पंचमी को नाग पंचमी की तरह मनाया जाता है। इसे शुक्ल पक्ष की पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन नागों का दर्शन करना अच्छा और फलदायक माना जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको नागपंचमी त्योहार की मेरी अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है नागपंचमी पर निबंध.

                          नाग पंचमी पर निबंध तथा महत्व, कथा--

               प्रस्तावना--

     श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है हिंदू धर्म के अनुसार नाग भगवान का रूप है। इसलिए इस दिन लोग नाम की पूजा पूरी विधि विधान से करते हैं।

     ऐसी मानता है कि जो लोग नग की पूजा करते हैं उन्हें सांप से कभी भी कोई हानि नहीं होती। उनकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है।

     वैसे तो सावन का महीना बहुत ही पवन माना जाता है इस महीने को भगवान शिव के लिए विशेष रूप से समर्पित माना जाता है। लोग पूरे सावन महीने भगवान शिव की पूजा अर्चना में पूरी तरह डूबे हुए रहते हैं और इसी सावन मास के बीच नाग पंचमी का विशेष त्यौहार मनाया जाता है नाग पंचमी में भगवान शिव के शिवलिंग और उनके गले में हर वक्त लिपट कर रहने वाले सांप का विशेष महत्व होता है।

              कैसे मनाएं नाग पंचमी -

     नाग पंचमी के दिन लोग घरों की सफाई कर दीवार पर चुना या गेरू लगाते हैं एवं फर्श में भी गोबर लीपते है। इसके बाद घर के दरवाज़े की बाहरी दीवारों पर सांप की आकृति बनाते हैं और रंगोलियां बनाते हैं ऐसा करना शुभ माना जाता है।

     नाग देवता की पूजा के लिए सुगंधित फूल और चंदन विशेष तौर पर पूजा में उपयोग किया जाता है।

              नाग पंचमी व्रत पूजन -

     सनातन धर्म की मान्यता अनुसार नागों को देवता कि श्रेणी में माना गया है इस दिन सुबह प्रातः काल स्नान कर लोग मंदिर जाकर नाग देवता को सुगंधित दूध व जल अभिषेक करा कर उन्हें कच्चा दूध और चावल दूध से बनी हुई मीठी खीर अर्पित करते हैं।

     एवं पुरोहित नाग देवता की पूजा के लिए विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और आठ अलग-अलग नाग देवताओं की पूजा करते हैं।

मान्यता के अनुसार नाग देवता खुश होकर आशीर्वाद देते हैं और सर्पदंश का डर खत्म हो जाता है इसके अलावा भी वह घर की लक्ष्मी की रक्षा करते हैं।

               नाग पंचमी की कहानी-

     इस पूजा से जुड़ी एक कथा है। जिसका बहुत महत्व है लिए इस कथा के बारे में हम विस्तार से जानते हैं एक नगर में एक व्यापारी निवास करता था उसके सात पुत्र थे। उन सातों पुत्रों का विवाह हो चुका था उन सातों बहू में से सबसे छोटी बहू विदुषी सुशील और अच्छे चरित्रवान वाली स्त्री थी।

     एक दिन सबसे बड़ी बहु ने सारी बहुओं से कहा कि घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी की जरुरत है। हम सब बाहर चलकर खेतों से पीली मिट्टी ले आते हैं। तब सारी बहुएँ एक साथ डलिया और खुरपी लेकर चल दीं। जब वे बहुएँ मिट्टी खोद रहीं थीं तभी अचानक पेड़ के पास से एक सर्प निकला।

     ऐसा देख कर सब डर गयीं। तब बड़ी बहु ने सर्प को खुरपी से मारना चाहा। लेकिन छोटी बहु ने ऐसा करने से उसे मना कर दिया। उसने कहा कि सर्प को नहीं मारना चाहिए, वह निरापराध है। ऐसा सुनकर बड़ी बहु छोटी बहु से नाराज हो गयी। फिर भी छोटी बहु के कहे अनुसार किसी ने भी उस सर्प को नहीं मारा।

     तब छोटी बहु ने सर्प के सम्मुख हाथ जोड़कर कहा कि हे नाग ! आप यहीं रुकिए मैं घर जाकर दूध लेकर आती हूँ। तब वहां से सारी बहुएँ चली गयीं। जब वे घर चली गयीं तब घर जाकर छोटी बहु घर के कार्यों में इतनी उलझ गयी कि उसे याद ही नहीं रहा कि उसने सर्प को वहां इंतज़ार करने के लिए कहा था।

     उसे अगले दिन याद आया और वह दौड़ती हुई दूध लेकर खेत में पहुंची। वह सर्प वहीँ पर उसका इंतज़ार कर रहा था। तब उसने सर्प को कटोरी में दूध दिया और माफ़ी मांगी। तब सर्प ने कहा कि कल तुमने मेरी जान बचाई है इस कारण मैं तुम्हे अपनी बहन मानता हूँ।

--roshni study point
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                          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अपबोर्ड.लाईव्ह)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.08.2023-सोमवार. 
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