नारली पूर्णिमा-लेख-5

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2023, 03:12:11 PM

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Atul Kaviraje


                                    "नारली पूर्णिमा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०८.२०२३-बुधवार है. आज "नारली पूर्णिमा" है. भारत में विभिन्न धर्मों के विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं। यहां प्रत्येक समुदाय को प्रदर्शित करता कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। नारली पूर्णिमा या नारियल का त्यौहार का हिंदू त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन महाराष्ट्र में मछली पकड़ने वाले मछुवारों के द्वारा मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर में 'श्रावण' के महीने में 'पूर्णिमा' (पूर्णिमा के दिन) पर मनाया जाता है और इसलिए इसे 'श्रवण पूर्णिमा' कहा जाता है। इस वर्ष नारली पूर्णिमा 30 अगस्त, 2023 को पड़ रही है। 'नारली' शब्द का अर्थ है 'नारियल' और 'पूर्णिमा' का अर्थ है 'पूर्णिमा का दिन। ' नारियल इस दिन एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको नारली पूर्णिमा त्योहार कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है, नारली पूर्णिमा पर एक महत्त्वपूर्ण लेख.

               नIरली पूर्णिमा का महत्व--

     भारत के पश्चिमी तट के घाटों ठाणे, रत्नागिरी, कोंकण आदि जैसे महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र तथा दमन और दीव में हिंदुओं द्वारा नारली पूर्णिमा मनाई जाती है। नारल यानि नारियल और पूर्णिमा यानि पूरे चांद निकलने का दिन होता है। इस दिन विशेष रुप से नारियल को समुद्र के देवता वरुण देव को अर्पित किया जाता है। यह महाराष्ट्र में मानसून के मौसम का अंत है। यह श्रावण के हिंदू कैलेंडर महीने के पूर्णिमा दिवस पर पड़ता है। श्रावण पूर्णिमा पर समुद्र के किनारे रहनेवाले लोग वरुणदेव हेतु समुद्र की पूजा कर, उसे नारियल अर्पण करते हैं । इस दिन अर्पित नारियल का फल शुभसूचक होता है एवं सृजनशक्ति का भी प्रतीक माना जाता है । नदी से संगम एवं संगम की तुलना में सागर अधिक पवित्र है । 'सागरे सर्व तीर्थानि' ऐसा कथन है, अर्थात सागर में सर्व तीर्थ हैं । सागर की पूजा अर्थात वरुणदेव की पूजा । जहाज द्वारा माल परिवहन करते समय वरुणदेव को प्रसन्न करने पर वे ही सहायता करते हैं। इस दिन मछुवारे नृत्य और गायन कर इस त्यौहार का जश्न मनाते हैं। इस दिन पारंपरिक भोजन में मीठे नारियल के चावल शामिल होते हैं जो करी के साथ परोसे जाते है। यह उत्सव का मछुवारों में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके जीवन का आधार ही समुद्र से मछली पकडना होता है। इसी व्यवसाय से वो अपना जीवन व्यापन करते हैं। इसलिए भगवान वरुण देव जो समुद्र के देवता है उनका शुक्रिया अदा करने के लिए भी मछुवारे इस दिन को उत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन मछुवारे मछली पकड़ने का कार्य नहीं करते ताकि मछलियों के प्रजनन में कोई बाधा उत्पन्न ना हो सके। इस दिन मछुवरारे समुदायों द्वारा कोई मछली नहीं खाई जाती है। मछली खाने से यह रोकथाम नारली पूर्णिमा के दिन खत्म हो जाती है। नारियल (श्रावण) पूर्णिमा से पूर्व समुद्र में ज्वार आने तथा लहरों की मात्रा अधिक होने के कारण समुद्र उफनता है । नारियल (श्रावण) पूर्णिमा के दिन समुद्रदेवता को नारियल अर्पण करते हैं तथा 'आपके रौद्ररूप से हमारी रक्षा होने दें और आपका आशीर्वाद प्राप्त होने दें', ऐसी प्रार्थना भी करते हैं । इससे समुद्र में आनेवाली ज्वार की मात्रा अल्प होता है ।' जब दिन के ऊंचे ज्वार पर समुद्र में नारियल फेंक दिया जाता है। इसका कारण उच्च ज्वार के दौरान है, समुद्र भारी गति में है और बहुत गहन है। यह, नारियल की भेंट अपने क्रोध को शांत करने के लिए एक इशारा है।

               नारियल का महत्व--

     इस उत्सव में नारियल की बहुत महत्वता होती है। नारियल के सिवा और किसी फल का प्रयोग नहीं किया जाता ऐसी मान्यता है कि नारियल भगवान शिव के त्रिनेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके लिए एक अन्य कारण यह है कि नारियल के उपर तीन आंखें होती हैं और भगवान शिव से जुड़ी होती हैं जिनकी तीन आंखें भी होती हैं। नारियल सबसे शुभ फल होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नारियल के पेड़ के हर हिस्से का प्रयोग किया जा सकता है। इसका हर हिस्सा उपयोगी होता है इसलिए, पारंपरिक रूप से नारियल के तोड़ने को किसी भी नए उद्यम की शुरूआत से पहले शुभ माना जाता है, इस मामले में, मछली पकड़ने और जल व्यापार के मौसम की शुरुआत करने के लिए भी नारियल शुभ होता है क्योंकि बारिश के मौसम में मछली पकड़ने का कार्य मछुवारों द्वारा नहीं किया जाता। वो नराली पूजा के बाद ही मछली पकड़ने का कार्य शुरु करते हैं। जिसके लिए नारियल को शुभ मान भगवान वरुण को अर्पित करते हैं।

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फेस्टिवल्स ऑफ इंडिया.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.08.2023-बुधवार. 
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