श्रीकृष्ण जन्माष्टमी-निबंध-1

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2023, 07:37:12 PM

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Atul Kaviraje

                                    "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-०६.०९.२०२३-बुधवार है. आज "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी" है. हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जानें इस साल सितंबर में कब है जन्माष्टमी- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको श्रीकृष्ण जन्माष्टमीकी बहोत सारी दिली शुभकामनाये. आईये, पढते है कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध.

     राधा के कृष्ण, ठाकुर जी हर किसी के प्रिय भगवान होते है. जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट होता है कि, कृष्ण जन्माष्टमी यानि  कृष्ण + जन्म +आष्ट्मी  =  कृष्ण जन्माष्टमी. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न प्रकार के फलाहार, दूध,  दही,  पंचामृत,  धनिये,  मेवे की पंजीरी, तुलसीदल, मिश्री एवम् विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट मिठाई को बनाकर प्रभु का भोग लगाया जाता है और मध्य रात्रि इन्हीं प्रसाद को ग्रहण कर व्रत खोला जाता है. हिंदू धर्म के सभी पुरुष एवं स्त्री व्रत रखते हैं. कारण श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में ही हुआ था,  जिस कारण से यह व्रत मध्य रात्रि में जाकर चन्द्रमा के निकल जाने के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन कृष्ण मंदिरों में बहुत चहल-पहल देखने को मिलेगी और सभी व्यापरी अपनी प्रतिष्ठान को तरह -तरह की लाइट और फूल माला से सजाते है. 

                   कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध--

              परिचय--

     श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी पूरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह पर्व हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है. सनातन संस्कृति को दर्शाने वाला यह बहुत बड़ा त्योहार है. अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे प्रवासी भी इस त्योहार को उल्लास के साथ मनाते हैं.

             जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है--

     नटखट श्री कृष्ण को सनातन संस्कृति को मनाने वाले लोग अपने ईष्ट देवता के रूप में पूजते है. इसी कारण उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं का स्मरण करते हुए उनके जन्मोत्सव को त्योहार के रूप में मनाते हैं.

           विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम--

     जन्माष्टमी पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों में एस्कॉन मंदिर के जरिए  जन्माष्टमी मनाई जाती है. बता दें कि, बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित रहता है.

             कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत--

     यह भारत के विभिन्न राज्यों यह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस उत्सव पर श्रीकृष्ण भक्त पूरा दिन उपवास रखते है.पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रख कर झूला झूलाया जाता हैं. पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना कर व्रत तोड़ते है.

            कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा सामग्री का महत्व--

     पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसी, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण काे भोग लगाया जाता है. खीरा और चना का इस पूजा में विशेष महत्व है. ऐसी पौराणिक मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास स्थान) धाम जाता है.

              निष्कर्ष--

     श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है. इसके अलावा सनातन धार्मिक पुस्तकों के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार हैं, इसलिए पूरे विश्व में कृष्ण जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

                          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-न्युज मग.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2023-बुधवार. 
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