बैल पोला-जानकारी-1

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2023, 05:48:03 PM

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Atul Kaviraje


                                        "बैल पोला"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२३-गुरुवार है. आज "बैल पोला" है.  छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार सदियों से बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार 2023 में 14 सितम्बर दिन गुरुवार को है. पोला त्यौहार के दिन मवेशियों को ज्यादा तरह से बैल को बहुत ही अच्छे से सजाते है उसके बाद बिधि अनुसार उस बैल को पूजन करते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको बैल पोला त्योहार की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है, इस त्योहार की महत्त्वपूर्ण जानकारी.

         बैल पोला त्यौहार 2023 का महत्व व जानकारी, कब, क्यों, कैसे मनाया जाता है, तारीख, पूजा विधि (Bail Pola Festival Kab Hai, Puja, Celebration, Date)--

     भारत देश कृषिप्रधान देश है, यहाँ कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है. यह पोला का त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है.

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Table of Contents--

बैल पोला 2023 (Bail Pola Festival in Hindi)--

त्यौहार का नाम-बैल पोला
अन्य नाम-पिठोरी अमावस्या, मोठा पोला, तनहा पोला
कहां मनाया जाता है-महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़
2023 में कब है-14 सितंबर को
पूजा होती है-बैल एवं घोड़ों की
पोला के दिन किसान और अन्य लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा करते है, उन्हें अच्छे से सजाते है. पोला को बैल पोला भी कहा जाता है.
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            2023 में पोला त्यौहार कब है (Pola Festival Date)--

     पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है, उस दिन मनाया जाता है. यह अगस्त – सितम्बर महीने में आता है. इस वर्ष 14 सितंबर को यह मनाया जायेगा. महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है.

             पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा--

     विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, लाढ देते है.

By-Karnika 
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2023-गुरुवार.
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