हरतालिका तीज-जानकारी-6

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2023, 07:52:10 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हरतालिका तीज"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०९.२०२३-सोमवार है. आज "हरतालिका तीज" है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी. इसको हरितालिका तीज और हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको हरतालिका तीज की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है हरितालिका तीज पर महत्त्वपूर्ण जानकारी.

     और लोकगीत के जरिये अपनी खुशियों का इजहार करती है पूरा दृश्य मनोरम हो जाता है जिस कारण से इन लोकगीत कजली के काफी प्रसिद्द होने के कारण इसे कजली तीज के नाम से भी मनाया जाता है.

     और कुछ भागो में इसे हरतालिका तीज के नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है यानी सावन के इस पवित्र महीने बिछड़े प्रेमी प्रेमिका फिर से मिल जाते है,

     यानि इस त्यौहार के प्रमुख आराध्य देव भगवान शंकर और माता पार्वती के मिलन के रूप में इसे त्यौहार के रूप में मनाया जाता है जिसे हरतालिका तीज के नाम से जानते है.

              हरियाली तीज या हरतालिका तीज कब है--

     अब आप यही सोच रहे होंगे की की ये हरियाली तीज या हरतालिका तीज कब मनाया जाता है तो हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार हरियाली तीज या हरतालिका तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया यानि तीसरे दिन मनाया जाता है.

            हरियाली तीज या हरतालिका तीज से जुडी पौराणिक कहानी | व्रत कथा--

        हरियाली तीज या हरतालिका तीज मनाने के पीछे बहुत ही पौराणिक कहानी है जो की इस प्रकार है:--

     हिन्दू धर्म की मान्यताओ के अनुसार माता पार्वती सैकड़ो वर्ष की तपस्या और 107 जन्मो के के पश्चात पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेती है,

     जो की फिर से शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए राजसी सुख सुविधा को छोड़कर घने जंगलो में बिना कुछ खाए वर्षो वर्षो तक तपस्या में लीन रहती है जिस कारण से उनके पिता बहुत ही दुखी रहते थे.

     लेकिन माता पार्वती किसी की प्रवाह किये बिना लगातार अपने तपस्या में लींन रहती थी और फिर सावन माह की शुक्ल पक्ष के तृतीया वाले दिन उसी जंगल में मिट्टी से भगवान शिव की शिवलिंग बनाकर पूजा पाठ करती है जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते है और फिर अपनी वधु के रूप माता पार्वती को स्वीकार करते है.

     और साथ में भोलेनाथ यह भी आशीर्वाद देते है की अब इस दिन जो भी मेरी भक्ति और पूजा पाठ करेगा उसे मनोवांछित पति और दीर्घायु की कामना पूरी होंगी.

     तभी से इस पौराणिक महत्व के चलते हरियाली तीज या हरतालिका तीज का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने लगा.

                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अच्छी ऍडव्हाईस.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.09.2023-सोमवार
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