गणेश चतुर्थी-निबंध-11

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2023, 04:40:59 PM

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Atul Kaviraje


                                      "गणेश चतुर्थी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०९.२०२३-मंगळवार है. आज "गणेश चतुर्थी" है. भगवान गणेश को समर्पित पर्व गणेश चतुर्थी जल्द ही प्रारंभ होने वाला है। लोग इस दौरान घरों में बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको श्री गणेश चतुर्थी की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए, पढते है गणेश चतुर्थी पर निबंध. 

रूपरेखा : प्रस्तावना - गणेश चतुर्थी 2023 में कब है - सार्वजनिक पूजा का उत्सव - गणेश के जन्म से संबंधित कथाएँ - सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ - गणपति के अनेक नाम - महाराष्ट्र में गणेशोत्सव - उपसंहार।

                       गणेश चतुर्थी 2023 पर निबंध - गणेशोत्सव पर निबंध--

             परिचय | गणेशोत्सव | गणेश चतुर्थी की प्रस्तावना--

     गणेश चतुर्थी या जिसे गणेशोत्सव भी कहते है हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इसके साथ ही महाराष्ट्र राज्य का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। यह हिन्दू धर्म का एक बहुत प्रिय पर्व है। ये उत्सव पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार आने के कई दिन पहले से ही बाजारों में इसकी रौनक दिखने लगती है। यह पर्व हिन्दू धर्म का अत्यधिक मुख्य तथा बहुत प्रसिद्ध पर्व है। इसे हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में बड़े ही उत्साह और प्रेम-भाव के साथ मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है।

           गणेश चतुर्थी 2023 में कब है | गणेशोत्सव कब मनाया जायेगा | गणेश पूजा कब है--

     हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में गणेश चतुर्थी अथवा गणेशोत्सव मनाया जाता है। वर्ष 2023 में, 19 सितंबर मंगलवार के दिन मनाया जायेगा। यह 11 दिन का गणेश चतुर्थी का त्योहार 29 सितंबर शुक्रवार के दिन समाप्त होगा।

            सार्वजनिक पूजा का उत्सव | गणेशोत्सव एक सार्वजनिक पूजा--

     विघ्न विनाशक, मंगलकर्ता, ऋद्धि -सिद्धि के दाता विद्या और बुद्धि के आगार गणपति की पूजा आराधना का सार्वजनिक उत्सव ही गणेश उत्सव है। भाद्रपपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के जन्मदिन पर यह उत्सव मनाया जाता है।

     वैदिक काल से लेकर आज तक, सिंध और तिब्बत से लेकर जापान और श्रीलंका तथा भारत में जन्में प्रत्येक विचार और विश्वास में गणपति समाए हैं। जैन संप्रदाय में ज्ञान का संकलन करने वाले गणेश या गणाध्यक्ष की मान्यता है तो बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा का विश्वास कभी यहां तक रहा है गणपति स्तुति के बिना मंत्र सिद्धि नहीं हो सकती। नेपाली तथा तिब्बती वज्रयानी बौद्ध अपने आराध्य तथागत की मूर्ति के बगल में गणेश जी को स्थापित रखते रहे हैं। सुदूर जापान तक प्रभावशाली राष्ट्रों में गणपति पूजा का कोई ना कोई रूप मिल जाएगा।

           गणेश के जन्म से संबंधित कथाएँ | गणेश जी की कहानी | गणेश चतुर्थी की कथा/कहानी--

     पुराणों में रूपकों की भरमार के कारण गणपति के जन्म का आश्चर्यजनक रूपकों में अतिरंजित वर्णन है। अधिकांश कथाएं ब्रह्मवैवर्त पुराण में है। गणपति कहीं शिव पार्वती के पुत्र माने गए हैं तो कहीं पार्वती के ही। पार्वती से शिव का विवाह होने के बहुत दिनों तक भी पार्वती को कोई शिशु न दे पाई तो महादेव ने पार्वती से पुण्यक-व्रत करने का वर दिया। परिणाम स्वरुप गणपति का जन्म हुआ।

     नवजात शिशु को देखने ऋषि, मुनि, देवगण आए। आनेवालों में शनि देव भी थे। शनि देव जिस बालक को देखते हैं उनका सिर भस्म हो जाता है वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इसलिए शनी ने बालक को देखने से इंकार कर दिया। पार्वती के आग्रह पर जैसे ही शनी ने बालक पर दृष्टि डाली उसका सिर भस्म हो गया।

     सिर भस्म होने या कटने के संबंध में दूसरी कथा इस प्रकार है-एक बार पार्वती स्नान करने गईं। द्वार पर गणेश को बैठा गई आदेश दिया कि जब तक मैं स्नान करके न लौटूं किसी को प्रवेश न करने देना। इसी बीच शिव आ गए। गणेश ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें भी रोका। शिव क्रुद्ध हुए और बालक का सिट काट दिया।

                           (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-निबंध.नेट)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.09.2023-मंगळवार.
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