गणेश चतुर्थी-निबंध-12

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2023, 04:42:17 PM

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Atul Kaviraje

                                      "गणेश चतुर्थी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०९.२०२३-मंगळवार है. आज "गणेश चतुर्थी" है. भगवान गणेश को समर्पित पर्व गणेश चतुर्थी जल्द ही प्रारंभ होने वाला है। लोग इस दौरान घरों में बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको श्री गणेश चतुर्थी की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए, पढते है गणेश चतुर्थी पर निबंध. 

     तीसरी कथा इस प्रकार है- जगदम्बिका लीलायी हैं। कैलाश पर अपने अन्तःपुर में वे विराजमान थी। सेविकाएँ उबटन लगा रही थीं। शरीरे से गिरे उबटन को उन आदिशक्तियों को एकत्र किया और एक मूर्ति बना डाली। उन चेतानामयी का वह शिशु अचेतन तो होता नहीं। उसने माता को प्रणाम किया और आज्ञा मांगी। उसे कहा गया कि बिना आज्ञा कोई द्वार से अंदर ना आने पाए। बालक डंडा लेकर द्वार पर खड़ा हो गया। भगवान शंकर अंतःपुर में आने लगे तो उसने रोक दिया। भगवान भूतनाथ कम विनोदी नहीं है। उन्होंने देवताओं को आज्ञा दी बालक को द्वार से हटाने की। इंद्र, वरुण, कुबेर, यम आदि सब उसके डंडे से आहत होकर भाग खड़े हुए। वह महाशक्ति का पुत्र जो था। इसका इतना औद्धत्य उचित नहीं फलतः भगवान शंकर ने त्रिशूल उठाया और बालक का मस्तक काट दिया।

     पार्वती रो पड़ीं। व्रत की तपस्या से प्राप्त प्राप्त शिशु का असमय चले जाना दुःखदायी था। उस समय विष्णु के परामर्श से शिशु हाथी का सिर काट कर जोड़ दिया गया। मृत शिशु जी उठा पर उनका शीश हाथी का हो गया। गणपति गजानन हो गए।

         सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ | गणेश जी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते है | गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम क्यों होती है--

     सनातन धर्मानुयामी स्मार्तों के पंच देवताओं में- गणेश, विष्णु, शंकर, सूर्य और भगवती में गणेश प्रमुख हैं। इसलिए सभी शुभ कार्यों के प्रारम्भ में सर्वप्रथम गणेश की पूजा की जाती है। दूसरी धारणा यह है शास्त्रों में गणेश को ओंकार आत्मक माना गया है इसी से उनकी पूजा सब देवताओं से पहले होती है। तीसरी धारणा यह है देवताओं ने एक बार पृथ्वी की परिक्रमा करनी चाहिए। सभी देवता पृथ्वी के चारों ओर गए किंतु गणेश ने सर्वव्यापी राम नाम लिखकर उसकी परिक्रमा कर डाली जिससे देवताओं में सर्वप्रथम की इनकी पूजा होती है। लौकिक दृष्टि से एक बात सर्वसिद्ध है कि प्रत्येक मनुष्य अपने शुभ कार्य को निर्विघ्न समाप्त करना चाहता है। गणपति मंगल मूर्ति हैं, विघ्नों के विनाशक हैं। इसलिए इनकी पूजा सर्वप्रथम होती है।

            गणपति के अनेक नाम | गणेश जी के अन्य नाम | किन नामों से गणेश भगवान को पुकारा जाता--

     गणेश जी महान लेखक भी हैं। व्यास जी का महाभारत इन्होंने ही लिखा था। वे शिव के गणों के पति होने के कारण गणपति तथा विनायक कहलाए। गज के समान मुख होने के कारण गजानन तथा पेट बड़ा होने के कारण होने के कारण लम्बोदर कहलाए। एक दाँत होने के कारण एकदन्त कहलाए। विघ्नों के नाश कर्ता होने के नाते विघ्नेश कहलाए। हेरम्ब इनका पर्यायवाची नाम है।

            महाराष्ट्र में गणेशोत्सव | गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में भव्य--

     महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रथा सातवाहन, राष्ट्रकूट,चालुक्य आदि राजाओं ने चलाई थी। पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव पर राष्ट्रीय रूप दिया। इसके बाद तो महाराष्ट्र में गणपति का पूजन एक पर्व बन नया। घर घर और मोहल्ले मोहल्ले में गणेश जी की मूर्ति की प्रतिमा रखकर गणेश उत्सव 10 दिन तक मनाया जाने लगा। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेश जी की शोभायात्रा निकाली जाती है। गणपति की प्रतिमाओं को समुद्री या महानद में विसर्जित कर दिया जाता है। उत्सव के प्रत्येक चरण में गणपति बप्पा मोरिया, पुठचा वर्षी लोकरया अर्थात् गणपति बाबा फिर-फिर आइए अगले बरस जल्दी आइए के नारे से गूंज उठता है।

              उपसंहार--

     वर्तमान समाज में इनके जन्मदिन का उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक मनाया जाता है। इसके कारण कुछ लोग यह भी मानते हैं कि महाराष्ट्र के पेशवा प्रायः मोर्चे पर रहते थे। भादों के दिनों में चौमासा के कारण वे राजधानी में ही रहते थे। अतः तभी उन्हें विधिपूर्वक पूजन का अवसर मिलता था। भारत के सभी नगरों और महानगरों में महाराष्ट्र के लोग रहते हैं। उनकी प्रेरणा से और सर्वमांगल-विघ्ननाशक होने के नाते हिंदू जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को बड़े धूमधाम से गणेश जी की शोभायात्रा निकालकर आनंद उत्सव मनाते हैं।

                             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-निबंध.नेट)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.09.2023-मंगळवार.
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