काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !-गावाची शिव लागताच दिसते उंचावरी ती गढी

Started by Atul Kaviraje, November 11, 2023, 10:17:19 PM

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Atul Kaviraje

                     "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "गावाची शिव लागताच दिसते उंचावरी ती गढी"

                       "गावाची शिव लागताच दिसते उंचावरी ती गढी"
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गावाची शिव लागताच दिसते उंचावरी ती गढी
भिंती ढासळल्या बुरुज खचले ये खालती देवडी

कुत्रे हे पेंगतसे करीतसे दिंडी पुढे राखण
जाऊ डावलुनी त्यास पुढती पाहू गढी आपण

होते राहात या गढीत ईथले पाटील मातब्बर
पाठी वाकवूनी त्यास मुजरे देती किती यस्कर

होते वाजत धडांग धीदिन्धा दिंडी पुढे चौघडे
घोडे भीमथडी सुरेख तगडे पागेत होते खडे

वैऱ्याला शह देत येथे भगवा झेंडा डूलावा पण
ती काठी दिसते तिलाच मुजरा आता करू आपण

--केशवसुत
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--प्रकाशक : शंतनू देव
(SUNDAY, DECEMBER 19, 2010)
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                 (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                            (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.11.2023-शनिवार.
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