लक्ष्मी पूजन-कविता-3-दीपावली

Started by Atul Kaviraje, November 12, 2023, 10:36:15 PM

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Atul Kaviraje


                                       "लक्ष्मी पूजन"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१२.११.२०२३-रविवार है. आज "लक्ष्मी पूजन" है. दिवाली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली पर पूरे घर और आस-पास की जगहों को दीपों से रोशन किया जाता है। साथ ही इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के कुछ उपाय जिनके द्वारा आप अपने भाग्य में वृद्धि कर सकते हैं। मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको लक्ष्मी पूजन और दीपावली त्योहार की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है लक्ष्मी पूजन पर कविता.

     दीपावली, प्रकाश का त्योहार, हमें एक समुदाय के रूप में एक साथ आने और प्रकाश के अंधकार, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर जीत का जश्न मनाने का समय है। हम अपने घरों को दीयों और भव्य सजावट के साथ सजाते हैं, उसी तरह हमें अपने दिल और मन को दया और एकता के भाव से भी रौशन करना चाहिए। इस दीपावली, हमें याद रखना चाहिए कि खुशी, प्यार और साझेदारी को बढ़ावा देने का महत्व है, न केवल हमारे परिवारों में बल्कि उन सभी लोगों के पास जो हमारे आसपास हैं। हम मिठाइयाँ और उपहार बाँटते हैं, वैसे ही हम मुस्कानें और अच्छाई का आदान-प्रदान भी करें।

            3. दीपावली--

आती है दीपावली, लेकर यह सन्देश।
दीप जलें जब प्यार के, सुख देता परिवेश।।
सुख देता परिवेश,प्रगति के पथ खुल जाते।
करते सभी विकास, सहज ही सब सुख आते।
'ठकुरेला' कविराय, सुमति ही सम्पति पाती।
जीवन हो आसान, एकता जब भी आती।।

दीप जलाकर आज तक, मिटा न तम का राज।
मानव ही दीपक बने, यही माँग है आज।।
यही माँग है आज,जगत में हो उजियारा।
मिटे आपसी भेद, बढ़ाएं भाईचारा।
'ठकुरेला' कविराय ,भले हो नृप या चाकर।
चलें सभी मिल साथ,प्रेम के दीप जलाकर।।

जब आशा की लौ जले, हो प्रयास की धूम।
आती ही है लक्ष्मी, द्वार तुम्हारा चूम।।
द्वार तुम्हारा चूम, वास घर में कर लेती।
करे विविध कल्याण, अपरमित धन दे देती।
'ठकुरेला' कविराय, पलट जाता है पासा।
कुछ भी नहीं अगम्य, बलबती हो जब आशा।।

दीवाली के पर्व की, बड़ी अनोखी बात।
जगमग जगमग हो रही, मित्र, अमा की रात।।
मित्र, अमा की रात, अनगिनत दीपक जलते।
हुआ प्रकाशित विश्व, स्वप्न आँखों में पलते।
'ठकुरेला' कविराय,बजी खुशियों की ताली।
ले सुख के भण्डार, आ गई फिर दीवाली।।

--त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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--jagran josh-SAKSHI KABRA
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-जाग्रण जोश.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.11.2023-रविवार.
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