बलि प्रतिपदा-जIनकारी-B

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2023, 07:55:26 PM

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Atul Kaviraje


                                    "बलि प्रतिपदा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.११.२०२३-मंगलवार है. आज "बलि प्रतिपदा" है. दिवाली के अगले दिन राजा बलि की पूजा होती है.  दिवाली के अगले दिन कार्तिक प्रतिपदा पर बलि प्रतिपदा पर्व मनाया जाता है. बलि प्रतिपदा को बलि पूजा भी कहा जाता है, जो गोवर्धन पूजा के साथ आता है. ये पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गिरिराज जी को समर्पित है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको बलि प्रतिपदा और दिवाली की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए लेते है बलि प्रतिपदा की जIनकारी.

           बलि प्रतिप्रदा से जुड़ी कथा (Balipratipada Katha) –

     हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बलि नाम का एक दैत्य राजा हुआ करता है, उसकी बहादुरी के चर्चे समस्त प्रथ्वी में थे. ये दैत्य राजा भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. ये दैत्य होते हुए भी, बहुत उदार और दयालु था. इस राजा के राज्य की समस्त प्रजा अपने राजा से बहुत खुश थी. राजा धर्म और न्याय के लिए हमेशा खड़े रहता था. बलि अजेय माना जाता था, वो कहता था उसे कोई नहीं हरा सकता. भगवान् का उपासक होने के बावजूद उसकी ये बात में अभिमान और गुमान झलकता था. इस राजा का ये स्वभाव विष्णु के सच्चे भक्तों को पसंद नहीं था, मुख्य रूप से सभी देवी देवताओं को. सभी देवी देवताओं को दैत्य राजा की लोकप्रियता से ईर्ष्या होती थी.  तब सभी देवी देवता मिलकर विष्णु के पास जाकर मदद मांगते है.

     विष्णु जी प्रथ्वी पर एक बार फिर अवतरित होते है. विष्णु जी बलि को नष्ट करने के लिए वामन अवतार में आते है. विष्णु जी ने धरती पर दस अवतार लिए थे, वामन उनका पांचवा अवतार था. ये बुराई को नष्ट करने, सुख, समृधि, शांति के लिए धरती पर आये थे. वामन एक बौने ब्राह्मण थे, जो बलि राजा के पास भिक्षा मांगने जाते है. राजा बलि के राज्य में उस दिन अश्वमेव यज्ञ चल रहा होता है. यह यज्ञ अगर पूरा हो जाता तो राजा बलि को हराना इस दुनिया में किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होता. इतने बड़े मौके पर बलि के राज्य में आये, ब्राह्मण को राजा बलि पुरे सादर सत्कार के साथ बुलाकर अथिति सत्कार में लग जाते है. राजा बलि वामन से पूछते है कि वे उनकी सेवा किस प्रकार कर सकते है, उन्हें क्या चाहिए. तब विष्णु के रूप वामन राजा से बोलते है कि उन्हें ज्यादा कुछ नहीं बस तीन विगा जमीन चाहिए. बलि ये सुन तुरंत तैयार हो जाता है, क्यूंकि उसके पास किसी बात की कमी नहीं होती है, धरती पाताल सभी उसके होते है, और अगर अश्व्मेव यज्ञ पूरा हो जाता है तो देवलोक में भी राजा बलि का राज्य हो जाता.

     राजा बलि वामन ने पहला डग रखने को बोलते है. जिसके बाद वामन अपने विशाल, विश्वरूप में आ जाते है, जिसे देख सभी अचंभित हो जाते है. वामन पहला कदम बढ़ाते है, जिसके नीचे समस्त ब्रह्मांड, अन्तरिक्ष आ जाता है, इसके बाद दुसरे कदम में समस्त धरती समा जाती है. वामन के पास तीसरा डग रखने के लिए कोई जगह ही नहीं बचती है, तब बलि अपना सर उनके सामने रखते है, ताकि वामन को दी गई उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो सके. वामन के इस रूप को देख बलि समझ जाते है कि ये विष्णु की ही लीला है. विष्णु बलि को पाताललोक में रहने को बोलते है. बलि भगवान् विष्णु से प्राथना करते है कि उन्हें एक ऐसा दिन दिया जाये जब वे अपने लोगों, अपनी प्रजा के पास आकर उन्हें देख सकें. बलि प्रतिप्रदा का दिन राजा बलि का धरती पर आने का दिन ही मानते है (दक्षिण भारत में ओणम के दिन माना जाता है कि राजा बलि धरती पर आये है) यह दिन अन्धियारे पर उजाले का प्रतिक माना जाता है. विष्णु जी बलि को ये भी बोलते है कि वे सदा उनके आध्यात्मिक गुरु रहेंगें. इसके साथ ही वे बोलते है कि बलि अगले इंद्र होंगें, पुरंदर वर्तमान इंद्र है. ओणम त्यौहार निबंध, कहानी एवं पूजा विधि के बारे में यहाँ पढ़ें.

     इस कथा के अलावा ये भी कहा जाता है कि बलि को जब विष्णु जी पाताललोक भेज देते है, तब उनके दादा पहलाद (विष्णु जी के सबसे बड़े भक्त) विष्णु जी से विनम्र करते है कि बलि को पाताललोक का राजा बना दिया जाये. विष्णु जी अपने सबसे प्रिय भक्त की ये बात मान जाते है और बलि को पाताललोक का राजा घोषित करते है. इसके साथ ही वे उन्हें धरती पर एक दिन आने की अनुमति भी देते है.

By-Anubhuti
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.11.2023-मंगळवार.
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