उदास रात

Started by शिवाजी सांगळे, November 30, 2023, 02:54:47 PM

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शिवाजी सांगळे

उदास रात

रात एक उदास कविता है, गर जानते हो
समेटती है दर्द दिनभर के गर समझते हो

कई खुशियाँ लुटाती है वो एक दूसरों पर
किया होगा एहसास कभी, गर मानते हो

है उसे भी उम्र, हयात, तुम्हारे हमारे जैसी
सुनाई देता कहराना गौर से, गर सुनते हो

भरती होगी सिसकियाँ वोभी बंद जुबाँ से
पडेगी कनोंपर आंहें उसकी,गर चाहते हो

महसूस होगी तुम्हें बदलती धडकनें सारी
साधकर चुप्पी साथ उसके,गर जागते हो

शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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