स्वप्न प्रिये.......

Started by बाळासाहेब तानवडे, December 04, 2010, 07:01:43 PM

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बाळासाहेब तानवडे


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स्वप्न  प्रिये ...

तुझेच  स्वप्न  सदा  सर्वदा. 
घायाळ  करी  तुझी  हर  एक  अदा. 
किती  दिवस  कल्पनेतच  रमावे. 
स्वप्न  प्रिये  तू  आता  अवतरावे. 

आठवून  तुझे  ते  निळेशार  नयन.
नाही  चीतास  एकही  क्षण  चैन. 
मज  एकवार  तू  चंचले  पाहावे. 
स्वप्न  प्रिये  तू  आता  अवतरावे. 

भेटीचा  तो  अमृत  योग  यावा. 
मैफिलीत  धुंद  रंग  तू  भरावा. 
ते  सप्तसूर  तू  समरसून  गावे. 
स्वप्न  प्रिये  तू  आता  अवतरावे. 

किती  दिवस  हा  दुरावा  सहावा. 
मिठीत  जगाचा  विसर  पडावा. 
अवीट  क्षण  ते  तिथेच  थिजावे. 
स्वप्न  प्रिये  तू  आता  अवतरावे. 


कवी : बाळासाहेब तानवडे

© बाळासाहेब तानवडे – ०४/१२/२०१०

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