अनाथालय का अनुभव

Started by Atul Kaviraje, October 16, 2024, 09:59:25 PM

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Atul Kaviraje

अनाथालय का अनुभव-

अनाथालय का दौरा मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था। जब मैंने पहली बार अनाथालय के गेट पर कदम रखा, तो मन में एक अजीब सा मिश्रण था—उत्सुकता, भय और सहानुभूति। क्या मैं उन बच्चों के दर्द को समझ पाऊँगा? क्या वे मुझसे बात करेंगे? ऐसे कई सवाल मेरे मन में चल रहे थे।

जैसे ही मैं अंदर गया, मुझे एक नई दुनिया का सामना करना पड़ा। बच्चे खेल रहे थे, हंस रहे थे, और उनकी मासूमियत ने मेरे दिल को छू लिया। हर एक चेहरे पर एक अद्भुत उत्साह था। मैंने देखा कि वहाँ एक शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे थे, और बच्चे बड़े ध्यान से सुन रहे थे। शिक्षिका ने बताया कि यहाँ बच्चों को शिक्षा, पोषण, और एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाता है।

मैंने बच्चों के साथ कुछ समय बिताया। उन्होंने मुझे अपने खेल में शामिल किया। उनकी मासूमियत और खेल के दौरान जो खुशियाँ मैंने देखीं, वे अद्भुत थीं। उनके पास न तो परिवार था, न ही माता-पिता, फिर भी उनकी मुस्कान ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। क्या खुशी केवल भौतिक चीजों में होती है? शायद नहीं।

एक बच्चे ने मुझे अपनी पसंदीदा कहानी सुनाई। उसकी आँखों में चमक थी, जब उसने बताया कि वह बड़ा होकर एक डॉक्टर बनना चाहता है। उस क्षण ने मुझे यह महसूस कराया कि इन बच्चों के सपने कितने बड़े हैं, भले ही उनके पास साधन न हों।

मेरे अनुभव का सबसे गहरा असर तब हुआ जब मैंने देखा कि बच्चे एक-दूसरे का कितना ध्यान रखते हैं। वे एक परिवार की तरह थे, एक-दूसरे को स्नेह और समर्थन देते हुए। यह देखकर मैंने सीखा कि प्यार और सहयोग से कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है।

जब मैं वहाँ से विदा हो रहा था, मैंने सोचा कि मैंने क्या दिया? लेकिन सच यह है कि उन बच्चों ने मुझे बहुत कुछ दिया। उन्होंने मुझे यह सिखाया कि सच्ची खुशी किसी चीज़ की कमी से नहीं आती, बल्कि एक-दूसरे के साथ होने में है।

अनाथालय का यह अनुभव मेरे दिल में हमेशा रहेगा, और यह मुझे प्रेरित करेगा कि मैं अपने जीवन में भी दूसरों की मदद करूं। एक छोटे से प्रयास से हम जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-16.10.2024-बुधवार.
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