तुलजापुर की भवानी माता-1

Started by Atul Kaviraje, November 08, 2024, 04:26:49 PM

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Atul Kaviraje

तुलजापुर की भवानी माता –

प्रस्तावना:

"जय भवानी, जय शिवाजी!" ये शब्द भारत की वीरता और शक्ति के प्रतीक हैं। इन शब्दों में जिस देवी का नाम लिया जाता है, वह हैं भवानी माता, जो महाराष्ट्र के तुलजापुर में स्थित प्रसिद्ध मंदिर में प्रतिष्ठित हैं। भवानी माता को शक्ति, समृद्धि, और विजय की देवी माना जाता है। वे विशेष रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज की आराध्य देवी मानी जाती हैं और उनके साथ जुड़े कई ऐतिहासिक घटनाओं के कारण भवानी माता का मंदिर और उसकी पूजा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। तुलजापुर स्थित भवानी माता का मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहां लाखों भक्त हर वर्ष पूजा करने आते हैं।

भवानी माता का स्वरूप:

भवानी माता का स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य होता है। वे एक शक्तिशाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं, जिनके दर्शन करने से भक्तों को मानसिक शक्ति, शारीरिक स्फूर्ति और आत्मबल की प्राप्ति होती है। भवानी माता का चित्र आमतौर पर उन्हें एक तेजस्वी रूप में दिखाता है, जिसमें वे हाथों में शस्त्र जैसे त्रिशूल और तलवार धारण किए होती हैं। उनका चेहरा पूर्ण रूप से शांत और सौम्य होता है, जो उनके कृपालु स्वभाव को दर्शाता है। भवानी माता की पूजा में विशेष रूप से बल, साहस, और शक्ति की प्राप्ति की कामना की जाती है।

तुलजापुर का भवानी मंदिर:

तुलजापुर का भवानी मंदिर महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है। यह मंदिर एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुरानी और प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। तुलजापुर भवानी माता का मंदिर विशेष रूप से भक्तों द्वारा मां के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना के लिए जाता है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवाजी महाराज ने इस मंदिर में पूजा की थी और इसे अपनी विजय का मुख्य स्रोत माना था। यही कारण है कि तुलजापुर भवानी माता का मंदिर शिवाजी महाराज के भक्तों के लिए एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है।

इतिहास और महत्व:

तुलजापुर भवानी माता का मंदिर विशेष रूप से काव्य, शौर्य और भारतीय धर्म और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसे शिवाजी महाराज की विजय के साथ जोड़कर देखा जाता है। जब शिवाजी महाराज ने अपने सैन्य अभियानों की शुरुआत की थी, तो वे भवानी माता के आशीर्वाद के लिए इस मंदिर में गए थे। उन्होंने मां से आशीर्वाद लिया था और विजय प्राप्त करने का संकल्प लिया था। इस प्रकार, भवानी माता का मंदिर उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया।

महाराष्ट्र में भवानी माता का बड़ा महत्व है, और उनके मंदिर में श्रद्धालुओं का लगातार आगमन होता रहता है। इस मंदिर में विशेष रूप से नवरात्रि और माघ शुक्ल पंचमी के समय बहुत बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इन दिनों विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त यहां अपने कष्टों का निवारण करने के लिए और मां भवानी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।

भवानी माता की पूजा विधि:

तुलजापुर में भवानी माता की पूजा एक विशेष प्रकार की साधना है, जिसमें भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास से देवी माता को अर्पित करते हैं।

विधि: पूजा करने से पहले भक्तों को स्नान और शुद्धि का ध्यान रखना होता है। इसके बाद, वे मंदिर में प्रवेश कर मां की मूर्ति के समक्ष दीपक और अगरबत्तियां अर्पित करते हैं। देवी के चरणों में फूल चढ़ाना और विशेष रूप से तुलसी के पत्ते अर्पित करना मान्यता प्राप्त है।

मंत्रोच्चारण: भवानी माता के प्रमुख मंत्रों का जप किया जाता है जैसे "ॐ भवानी महाक्रूराय नमः" और "जय भवानी जय शिवाजी"। इन मंत्रों का जप देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

नैवेद्य: देवी को फल, मिष्ठान और दूध अर्पित किया जाता है। विशेष रूप से ताजे फल और मिठाइयों का अर्पण किया जाता है।

व्रत: भक्त विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं और देवी के सामने भोग अर्पित करते हैं। इस दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से हर रूप को अलग-अलग दिन पूजा जाता है।

हवन और यज्ञ: मां भवानी की पूजा में हवन और यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें मंत्रोच्चारण के माध्यम से वातावरण को शुद्ध किया जाता है और देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.11.2024-शुक्रवार.
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