भगवान हनुमान जी का जीवनप्रवास-3

Started by Atul Kaviraje, November 16, 2024, 09:07:11 PM

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Atul Kaviraje

भगवान हनुमान जी का जीवनप्रवास (Life Journey of Lord Hanuman)-

भगवान हनुमान जी को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। वे भगवान राम के परम भक्त, अंजनी के पुत्र और पवन देवता के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए महान योद्धा, भगवान के दूत और एक आदर्श भक्त के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका जीवन संघर्ष, भक्ति, साहस और शक्ति का प्रतीक है। उनकी जीवनकथा 'रामायण' के माध्यम से हम तक पहुँची है, जिसमें उन्होंने भगवान राम के साथ मिलकर रावण और उसकी सेना से युद्ध किया और कई अद्वितीय कार्य किए। हनुमान जी का जीवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो हमें शुद्ध भक्ति, साहस, निष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाता है।

हनुमान जी का जन्म (Birth of Lord Hanuman)
भगवान हनुमान का जन्म अंजनी और केसरी के घर हुआ था। अंजनी एक आचार्य और तपस्विनी थीं और केसरी एक वानर राजा थे। अंजनी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें पवन देव (वायु देवता) से आशीर्वाद मिला और भगवान हनुमान का जन्म हुआ। हनुमान जी का जन्म पवन देवता के आशीर्वाद से हुआ था, इसलिए वे पवनपुत्र के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

हनुमान जी का नाम पहले मारुति था, क्योंकि 'मारुत' का अर्थ पवन होता है। साथ ही, उन्हें 'अंजनीसुत' भी कहा जाता है, क्योंकि वे अंजनी के पुत्र थे। उनके जन्म के समय भगवान शिव ने उन्हें अजर-अमर होने का वरदान दिया, जिससे वे मृत्यु से परे हो गए।

बाल हनुमान और अद्वितीय शक्तियां (Childhood of Hanuman and His Extraordinary Powers)
हनुमान जी का बालपन बेहद रोचक और चमत्कारी था। एक दिन, जब हनुमान जी छोटे थे, तो उन्होंने सूर्य को देखकर उसे एक फल समझ लिया और उसे खाने के लिए आकाश की ओर कूद पड़े। इस समय सूर्य देवता को हनुमान जी के इस कार्य को देखकर घबराहट हुई, क्योंकि उनका वजन बहुत भारी था। इसके बाद, भगवान इन्द्र ने वज्र से हनुमान जी को मारा, जिससे उनका मुँह चोटिल हो गया। इससे पवन देवता ने क्रोधित होकर आकाश को शून्य बना दिया और सभी देवताओं ने मिलकर हनुमान जी को आशीर्वाद दिया। इससे वे और अधिक शक्तिशाली हो गए और उनका शरीर अत्यधिक बलशाली बन गया।

हनुमान जी की इन शक्तियों से सभी देवता प्रभावित थे, और उन्हें भगवान शिव द्वारा दी गई अद्वितीय शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था।

राम के प्रति भक्ति (Devotion towards Lord Rama)
हनुमान जी का जीवन पूरी तरह से भगवान राम के प्रति भक्ति और निष्ठा में समर्पित था। जब भगवान राम और सीता माता का वनवास हुआ, तब हनुमान जी ने राम के साथ अपने समर्पण का पहला परिचय दिया।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-16.11.2024-शनिवार.
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