लाला लाजपत राय पुण्यतिथि-

Started by Atul Kaviraje, November 17, 2024, 08:25:18 PM

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Atul Kaviraje

लाला लाजपत राय पुण्यतिथि-

लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए बिता दी। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के जुल्लंदर जिले के एक छोटे से गाँव मंे हुआ था। वे "पंजाब केसरी" और "शेर ए पंजाब" के नाम से प्रसिद्ध थे। उनका योगदान भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अत्यंत महत्वपूर्ण था। आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर, हम उनके संघर्ष, बलिदान और उनके योगदान की चर्चा करेंगे।

लाला लाजपत राय का प्रारंभिक जीवन
लाला लाजपत राय का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था। उनका बचपन शिक्षा में रुचि रखने वाला था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जुल्लंदर में प्राप्त की और बाद में लाहौर के सरकारी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। शिक्षा के क्षेत्र में रुचि होने के साथ-साथ उन्हें समाज सेवा और देश की स्वतंत्रता के विचार भी प्रेरित करते थे। वे ब्रिटिश शासन के विरोधी थे और देशवासियों को जागरूक करने के लिए उन्होंने सक्रिय रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर काम करना शुरू किया।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
लाला लाजपत राय का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान था। वे स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) के प्रमुख नेता थे, जो 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ शुरू हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने बंगाल को धार्मिक आधार पर विभाजित करने की योजना बनाई थी, जिसे लाला लाजपत राय और अन्य नेताओं ने कड़ा विरोध किया। उनका मानना था कि यह विभाजन भारतीय समाज को तोड़ने की एक साजिश थी। लाला लाजपत राय ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और इसके माध्यम से भारतीयों में स्वदेशी सामान के इस्तेमाल का प्रचार किया।

लाला लाजपत राय का "स्वदेशी आंदोलन" में योगदान
स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के सामान का बहिष्कार करना और भारतीय वस्त्रों तथा उत्पादों का इस्तेमाल बढ़ाना था। लाला लाजपत राय ने इस आंदोलन के तहत ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और भारतीय जनता को इस दिशा में जागरूक किया। वे मानते थे कि भारतीयों को आत्मनिर्भर बनाना होगा ताकि वे ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति पा सकें। इस आंदोलन का असर यह था कि भारतीयों ने ब्रिटिश सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया और स्वदेशी उत्पादों को अपनाया।

लाला लाजपत राय का बलिदान
लाला लाजपत राय का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा देने वाला है। 30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपत राय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया, जब उन्होंने लाहौर में ब्रिटिश पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने पर साहसिकता से विरोध किया। इस लाठीचार्ज के दौरान उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन उन्होंने बिना किसी भय के इसका सामना किया। उन्हें यकीन था कि उनके बलिदान से भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

लाला लाजपत राय को इस लाठीचार्ज में गहरी चोटें आईं, और 17 नवम्बर 1928 को उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद भारतीय समाज में शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक प्रेरणा बन गया।

लाला लाजपत राय की विचारधारा
लाला लाजपत राय ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि भारतीय समाज की अनेक समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना था कि यदि भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करनी है, तो उसे शिक्षा और आत्मनिर्भरता के माध्यम से सशक्त बनाना होगा। उनके विचारों में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु थे:

शिक्षा का महत्व: लाला लाजपत राय का मानना था कि शिक्षा समाज की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी शिक्षा अपनाने और ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली से अलग हटने का आह्वान किया।

आत्मनिर्भरता: उनका विश्वास था कि भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने संसाधनों और उद्योगों का निर्माण करना होगा। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग का प्रचार किया और विदेशी सामान का बहिष्कार किया।

सामाजिक सुधार: लाला लाजपत राय ने भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद, अंधविश्वास और असमानता के खिलाफ भी आवाज उठाई। वे समाज में समानता की स्थापना के पक्षधर थे।

देशभक्ति और संघर्ष: लाला लाजपत राय का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। उन्होंने हमेशा भारतीयों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि केवल संघर्ष के माध्यम से ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।

लाला लाजपत राय के योगदान की याद
लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि 17 नवम्बर को पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। उनके योगदान को याद करते हुए हर साल इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यालयों और कॉलेजों में उनकी जीवनी पर चर्चा होती है, और उनके संघर्ष को आने वाली पीढ़ियों के सामने लाया जाता है। भारत सरकार ने कई सार्वजनिक स्थलों पर लाला लाजपत राय के नाम पर स्मारक और संस्थाएं स्थापित की हैं।

कुछ प्रसिद्ध उद्धरण:

"स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमें अपनी अस्मिता और संस्कृति को बचाना होगा।"
"यह कोई छोटा संघर्ष नहीं है, यह एक लंबा संघर्ष है, जो हमें स्वतंत्रता दिलाने तक जारी रहेगा।"
"जब तक भारतीय जनता को यह समझ नहीं आती कि हम आत्मनिर्भर बनकर ही ब्रिटिश साम्राज्य को पराजित कर सकते हैं, तब तक हम स्वतंत्र नहीं हो सकते।"

निष्कर्ष
लाला लाजपत राय ने अपने जीवन में जो संघर्ष, बलिदान और देश के लिए कार्य किया, वह हमेशा याद रहेगा। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि देश की स्वतंत्रता के लिए केवल बाहरी आक्रमणों से नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, शिक्षा और सामाजिक सुधारों से भी काम किया जा सकता है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं।

शुभ लाला लाजपत राय पुण्यतिथि! 🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.11.2024-रविवार.
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