बच्चों का मनोविज्ञान:-1

Started by Atul Kaviraje, November 17, 2024, 08:45:45 PM

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Atul Kaviraje

बच्चों का मनोविज्ञान:-

बच्चों का मनोविज्ञान (Child Psychology) एक अत्यंत महत्वपूर्ण और गहरा विषय है, जो बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास का अध्ययन करता है। यह बच्चों के विचारों, भावनाओं, कार्यों और उनकी प्रतिक्रिया के तरीके को समझने में मदद करता है। बच्चों के मनोविज्ञान को समझना न केवल उनके विकास को समझने में मदद करता है, बल्कि यह माता-पिता, शिक्षक और समाज को बच्चों के बेहतर पालन-पोषण के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।

बच्चों का मनोविज्ञान क्या है?
बच्चों का मनोविज्ञान बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास का अध्ययन है। यह बच्चों के विचारों, भावनाओं, कार्यों और उनकी प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद करता है। बच्चों का विकास समय के साथ बदलता है और यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीनों पहलुओं में होता है। बच्चों की शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ उनका मानसिक और भावनात्मक विकास भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के प्रमुख पहलू:
1. प्रारंभिक वय (0-6 वर्ष) - इन्फेंट और टॉडलर:
विकसनशील क्षमता:

इस आयु वर्ग में बच्चों के मस्तिष्क का तीव्र विकास होता है। यह समय बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस उम्र में वे अपने आसपास की दुनिया को समझने और महसूस करने लगते हैं।
वे हाव-भाव, आवाज़ और अन्य संकेतों से सीखते हैं और धीरे-धीरे अपने वातावरण से जुड़ते हैं।
उदाहरण:

एक बच्चा जब मम्मी को देखकर मुस्कराता है, तो यह एक भावनात्मक और मानसिक विकास का हिस्सा है। यह दर्शाता है कि बच्चा सामाजिक रूप से जुड़ने की प्रक्रिया में है।
मनोविज्ञान:
इस उम्र में बच्चों में अटैचमेंट (attachment) का विकास होता है, यानी वे अपनी माँ या प्राथमिक देखभालकर्ता से भावनात्मक संबंध बनाते हैं। यह भावनात्मक सुरक्षा उन्हें आत्मविश्वास और भविष्य में सामाजिक और मानसिक विकास के लिए मजबूत आधार प्रदान करता है।

💞 विज्ञान में मुद्दा:
बच्चों के जीवन के पहले 3 साल उनके दिमाग के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय में उनके मस्तिष्क में लगभग 80% विकास हो जाता है।

2. प्राथमिक स्कूल वय (6-12 वर्ष) - बौद्धिक और सामाजिक विकास:
विकसनशील क्षमता:

इस उम्र में बच्चों का बौद्धिक विकास होता है। वे स्कूल में पढ़ाई करते हैं और अपनी सोच को सुसंगत और तार्किक तरीके से विकसित करते हैं।
बच्चे सामाजिक व्यवहार सीखते हैं और दूसरों के साथ काम करना, खेलना और सहयोग करना सीखते हैं।
उदाहरण:

एक बच्चा स्कूल में खेलते समय साथी बच्चों के साथ नियमों का पालन करता है, यह दिखाता है कि वह सामाजिक व्यवहार सीख रहा है।
मनोविज्ञान:
इस उम्र में बच्चों का आत्मसम्मान (self-esteem) और आत्म-विश्वास (self-confidence) विकसित होने लगता है। वे खुद को और अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं।

📚 विज्ञान में मुद्दा:
शिक्षक और माता-पिता को बच्चों की बौद्धिक क्षमता और सामाजिक संबंधों को प्रोत्साहित करने के लिए मदद करनी चाहिए।

3. किशोरवय (13-18 वर्ष) - मानसिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव:
विकसनशील क्षमता:
किशोरवय में बच्चों में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। यह समय होता है जब वे अपनी पहचान और स्वतंत्रता की तलाश करते हैं।
किशोरों में अक्सर मूड स्विंग्स होते हैं और वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
उदाहरण:
एक किशोर जो अचानक घर में गुस्से में आ जाता है और अपने माता-पिता से बात नहीं करना चाहता, यह एक सामान्य प्रतिक्रिया हो सकती है, जो हार्मोनल बदलावों के कारण होती है।
मनोविज्ञान:
इस उम्र में किशोर अपनी पहचान (identity) की तलाश करते हैं। वे विभिन्न सामाजिक समूहों और मूल्यों के प्रति जागरूक होते हैं। इस समय, उनका आत्म-संस्कार और सामाजिक स्वीकृति महत्वपूर्ण हो जाता है।
🧠 विज्ञान में मुद्दा:
किशोरावस्था में एरिक एरिकसन का सिद्धांत (Identity vs. Role Confusion) महत्वपूर्ण होता है, जहां किशोर अपनी पहचान और भविष्य को लेकर भ्रमित हो सकते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन से वे अपनी दिशा ढूंढ सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.11.2024-रविवार.
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