भगवान गणेश जी का जन्म और उनकी उत्पत्ति की कहानी-1

Started by Atul Kaviraje, November 19, 2024, 09:24:48 PM

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Atul Kaviraje

भगवान गणेश जी का जन्म और उनकी उत्पत्ति की कहानी-
(The Birth of Lord Ganesha and His Origin Story)

भगवान गणेश, जिन्हें "विघ्नहर्ता" और "बुद्धि के देवता" के रूप में पूजा जाता है, उनके जन्म और उत्पत्ति की कथा भारतीय पौराणिक कथाओं में अत्यंत रोचक और रहस्यमयी है। भगवान गणेश का जन्म देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में हुआ, और उनकी उत्पत्ति से जुड़ी कई अद्भुत घटनाएं हैं जो हमें जीवन के गहरे संदेश देती हैं। यह कथा भगवान गणेश की महिमा को समझने और उनकी पूजा के महत्व को उजागर करती है।

गणेश जी का जन्म:
भगवान गणेश का जन्म देवी पार्वती के गर्भ से हुआ था, लेकिन उनका जन्म कुछ विशेष परिस्थितियों में हुआ, जो न केवल रोचक हैं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण शिक्षाओं से भी जुड़ी हुई हैं।

कथा की शुरुआत:
एक समय की बात है, देवी पार्वती, जो भगवान शिव की पत्नी थीं, एक दिन स्नान के लिए तैयार हो रही थीं। पार्वती को स्नान करते समय किसी का ध्यान नहीं चाहिए था, इसलिए उन्होंने अपने शरीर से माटी (कीचड़) निकाली और उस माटी से एक सुंदर बालक का निर्माण किया। उन्होंने उस बालक को जीवित करने के लिए उसे प्राण दिया।

यह बालक, जिसे देवी पार्वती ने खुद बनाया था, उन्हें बहुत प्यारा था। उसने देवी से यह आदेश लिया था कि वह घर में अकेला ही रहे और किसी को भी अंदर प्रवेश करने से रोकने का कार्य करे।

भगवान शिव का आगमन:
जब भगवान शिव अपने घर लौटे, तो पार्वती के द्वारा बनाए गए बालक ने उन्हें दरवाजे पर रोका। गणेश ने भगवान शिव से कहा, "आप घर में प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि मेरी माँ ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है कि मैं किसी को भी घर में प्रवेश करने से रोकूंगा।"

भगवान शिव, जो कि अपनी शक्ति और प्रभाव में बहुत बड़े थे, पहले तो यह नहीं समझ पाए कि यह बालक कौन है। वह उसे अंदर जाने की अनुमति देने के लिए कहने लगे, लेकिन गणेश ने अपनी स्थिति में रहते हुए उन्हें नहीं जाने दिया।

यह देखकर भगवान शिव को गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश के सिर को काट दिया। लेकिन जब देवी पार्वती ने यह देखा, तो वह बहुत दुखी और क्रोधित हो गईं। देवी ने भगवान शिव से कहा, "आपने मेरे पुत्र को क्यों मारा?"

गणेश का सिर बदलना:
अब भगवान शिव ने देवी पार्वती से माफी मांगी और अपने किए पर पछताए। भगवान शिव ने आदेश दिया कि गणेश के सिर को ठीक किया जाए। उन्होंने अपने सेवकों से कहा कि वे जंगल से किसी भी जानवर का सिर लाकर गणेश के शरीर पर लगा दें। भगवान शिव के आदेश पर एक हाथी का सिर लाया गया और गणेश के शरीर पर उसे जोड़ दिया गया। इस प्रकार गणेश का चेहरा हत्ती का बना, लेकिन उनका शरीर पार्वती द्वारा बनाए गए बच्चे का ही रहा।

भगवान शिव ने गणेश को जीवित किया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह अब सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाएंगे। साथ ही यह भी कहा गया कि जिनके जीवन में गणेश की पूजा होगी, उनके जीवन से सभी विघ्न दूर हो जाएंगे।

गणेश जी की उत्पत्ति के पीछे का गूढ़ अर्थ:
गणेश जी की उत्पत्ति और उनके शरीर के अद्भुत रूप के पीछे कुछ महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और जीवनदर्शन हैं।

विघ्नहर्ता का स्वरूप:
भगवान गणेश जी का नाम "विघ्नहर्ता" है, जो यह दर्शाता है कि वे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर करने वाले हैं। उनकी उत्पत्ति की कथा से यह संदेश मिलता है कि जीवन में संकट आते हैं, लेकिन भगवान गणेश की पूजा से उन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

मूलकता और जन्म:
गणेश जी का जन्म बिना पिता के शरीर से हुआ, यानी उनके जन्म में देवी पार्वती की स्वयं की मर्जी और शारीरिक शक्ति का योगदान था। यह घटना हमें यह समझाती है कि किसी भी प्राणी का जन्म ईश्वर की इच्छा से ही होता है और यह हमारे कर्मों और मानसिकता पर निर्भर करता है।

सकारात्मकता और समर्पण:
गणेश जी का मुख हत्ती का होने का प्रतीक है। हत्ती एक बुद्धिमान और शांत जानवर माना जाता है। गणेश जी की उत्पत्ति में हत्ती का सिर जोड़ने से यह संकेत मिलता है कि हमें जीवन में कभी भी अड़चनों और विघ्नों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि हमें बुद्धि, धैर्य और सकारात्मक सोच के साथ उनका सामना करना चाहिए।

गणेश जी के महत्व और पूजा:
भगवान गणेश जी का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि समाज में भी उनका आदर और सम्मान किया जाता है। गणेश जी की पूजा विशेष रूप से "गणेश चतुर्थी" के दौरान होती है, जो हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.11.2024-मंगळवार.
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