भगवान श्री कृष्ण का जन्म और उनका बाल्यवस्था जीवन-

Started by Atul Kaviraje, November 20, 2024, 04:58:15 PM

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Atul Kaviraje

भगवान श्री कृष्ण का जन्म और उनका बाल्यवस्था जीवन-

परिचय:

भगवान श्री कृष्ण का जन्म और उनका बाल्यवस्था जीवन हिन्दू धर्म की सबसे चमत्कारी और प्रेरणादायक कथाओं में से एक है। श्री कृष्ण का जन्म और उनके बचपन की घटनाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह जीवन के गहरे और सार्वभौमिक संदेशों को भी व्यक्त करती हैं। श्री कृष्ण के जीवन के बारे में जानकर हम प्रेम, भक्ति, कर्म, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म
जन्म का समय और स्थान:

भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग के दौरान हुआ था, और उनका जन्म स्थान मथुरा (वर्तमान उत्तर प्रदेश) था। उनका जन्म आषाढ़ शुद्ध अष्टमी को हुआ था, जो योगिनी एकादशी की रात थी। श्री कृष्ण का जन्म देवकी और वसुदेव के घर हुआ था। वसुदेव यादव वंश के थे और देवकी उनकी पत्नी थीं।

कंस का अत्याचार और भविष्यवाणी:

भगवान श्री कृष्ण का जन्म एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी के कारण हुआ। जब देवकी और वसुदेव की शादी हुई, तब एक दिन देवकी के भाई कंस ने एक भविष्यवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसका वध किया जाएगा। कंस अत्यंत क्रूर और आत्मकेंद्रित था, इसलिए उसने देवकी और वसुदेव को बंदी बना लिया और उनके सभी बच्चों को मारने का आदेश दे दिया।

भगवान कृष्ण का जन्म:

भगवान श्री कृष्ण का जन्म अत्यंत चमत्कारीक रूप से हुआ। देवकी के आठवें गर्भ में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, और उनका रूप दिव्य और अद्वितीय था। जन्म के समय ही भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति का प्रदर्शन किया। उनके जन्म के बाद, वसुदेव ने भगवान श्री कृष्ण को कारागृह से बाहर निकाल लिया और उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास भेज दिया, ताकि कंस को यह पता न चले।

भगवान श्री कृष्ण का बाल्यवस्था जीवन
गोकुल में पालन-पोषण:

भगवान श्री कृष्ण का पालन-पोषण गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के घर हुआ। भगवान कृष्ण का बचपन अत्यंत चमत्कारी और अद्भुत था। उन्होंने बहुत ही छोटे उम्र में कई चमत्कारी घटनाओं को अंजाम दिया और गोकुलवासियों के दिलों में बस गए। उनके जीवन के कुछ प्रमुख घटनाएँ और शैतान रूपी राक्षसों के साथ उनकी लड़ाई से गोकुलवासियों का जीवन सुरक्षित हुआ।

माखन चोरी:

भगवान श्री कृष्ण का बचपन माखन चोरी करने के लिए प्रसिद्ध है। वे गोकुल में अपने दोस्तों के साथ माखन चोरी करते थे। वे घर-घर जाकर माखन चुराते और फिर उसे अपनी टोली के साथ खाते। कृष्ण की माखन चोरी की शरारतें गोकुलवासियों के बीच प्रसिद्ध हो गईं, और वे सभी कृष्ण को अपने दिलों से प्यार करने लगे।

गोवर्धन पर्वत उठाना:

एक बार जब कंस ने गोकुलवासियों को दुखी करने के लिए मूसलधार बारिश और तूफान भेजा, तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों को बचाया। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपने ऊपर शरणागत होकर छांव में लिया और सभी को सुरक्षित किया। यह घटना कृष्ण के अद्वितीय शक्ति और ईश्वरत्व का प्रतीक बन गई।

कंस द्वारा भेजे गए राक्षसों का वध:

कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए अनेक राक्षसों को भेजा, लेकिन भगवान कृष्ण ने हर राक्षस को मारकर उनकी मंशा को असफल कर दिया। इनमें से कुछ प्रमुख राक्षस थे:

पुतना:
पुतना नामक राक्षसी ने कृष्ण को दूध पिलाने के बहाने विष देना चाहा, लेकिन कृष्ण ने उसे मार डाला।

बकासुर और अघासुर:
बकासुर और अघासुर जैसे राक्षस भी कृष्ण को मारने के लिए आए, लेकिन कृष्ण ने उनकी शक्तियों को समाप्त कर दिया और गोकुलवासियों को संकट से उबारा।

कालियादमण:
एक बार गोकुल में कालियानाग ने गंगा नदी का पानी ज़हरीला बना दिया था, जिससे वहां के सारे जीव मारे जा रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को पराजित किया और उसे नदी छोड़ने के लिए विवश किया।

कृष्ण की शरारतें और रास लीला:

भगवान कृष्ण का बचपन शरारतों से भरा हुआ था, लेकिन उनकी हर शरारत के पीछे एक गहरा संदेश छिपा हुआ था। उन्होंने अपनी प्रेम लीला, रास लीला, में गोपियों के साथ नृत्य किया और उन्हें सत्य, प्रेम और भक्ति का महत्व समझाया। उनकी रास लीला ने भक्ति के एक नए स्वरूप को जन्म दिया और आज भी भक्तों के दिलों में बसी हुई है।

निष्कर्ष
भगवान श्री कृष्ण का जन्म और उनका बाल्यवस्था जीवन ना केवल चमत्कारी घटनाओं से भरा हुआ था, बल्कि उन्होंने मानवता को प्रेम, सत्य, करुणा और भक्ति का सर्वोत्तम मार्ग दिखाया। कृष्ण का जीवन यह बताता है कि जीवन में आने वाली परेशानियों और संकटों का सामना करने के लिए हमें अपनी शक्ति और साहस को पहचानना चाहिए और हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म और उनका बचपन, दुनिया के हर कोने में भक्ति, प्रेम और धार्मिकता का प्रतीक बनकर आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि प्रेम और भक्ति के रास्ते से हम भगवान तक पहुँच सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

"श्री कृष्ण के चरणों में भक्ति रखो, जीवन में सुख और शांति प्राप्त करो।" 🙏💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-20.11.2024-बुधवार.
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