"शांत समुद्र तट पर धूप"

Started by Atul Kaviraje, December 08, 2024, 09:19:30 AM

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Atul Kaviraje

शुभ सकाळ, शुभ रविवार.

"शांत समुद्र तट पर धूप"

शांत समुद्र तट पर जब धूप बिखरे,
सुनहरी किरणें जैसे प्रेम से सिगरें,
लहरें अपनी लय में धीरे-धीरे बहें,
समुद्र का मंथन हर दिल में गूंजे।

रौशन आकाश और लहरों का गीत,
धूप में नहाए, बिखरे हैं सुंदर मोती,
हवा का हल्का झोंका गालों से टकराए,
दिल में अमन और शांति समाए।

समुद्र की लहरों का अजीब जादू,
हर पल में जैसे हो नया ख्वाब जादू,
चमकते पानी पर जब धूप डाले अपनी चाँदनी,
समुद्र भी मुस्काए, अपनी बाहों में बांधे जीवन की कहानी।

कभी-कभी लहरें उठें, चंचल हों,
धूप में झिलमिलाती फिर भी, सुंदर हों,
समुद्र के किनारे पर बसी हो एक ख़ामोशी,
जैसे जीवन ने रुककर गहरी साँस ली हो।

धूप की किरणें खेलें रेत में,
सुनहरी रंगों से उकेरें हर कदम में,
समुद्र की लहरें और आकाश का मिलन,
धरती पर हो एक अद्वितीय क्षण।

रात के अंधेरे में, और दिन के उजालों में,
समुद्र तट पर धूप हर दिल को निहाल करे,
शांत लहरों की गुनगुनाहट में,
एक सुकून, एक शांति, मन को सहेजे।

कोई दूर से नाव चला आता हो,
धूप में चमकते पानी को देखता हो,
फिर सब कुछ शांत हो, कोई हड़बड़ी नहीं,
बस धूप और लहरें, समय का संकेत नहीं।

यहां के दृश्य में समय थम सा जाए,
हर पल प्रेम और शांति से भर जाए,
समुद्र तट पर बैठकर धूप में नहाना,
हर घड़ी में खुद को फिर से पाना।

धूप के बीच हर अस्तित्व निखरे,
समुद्र की शांत लहरों में एक अद्भुत असर हो,
जैसे हर सन्नाटा, हर आहट सुकून दे,
समुद्र तट पर धूप, जीवन को नव जीवन दे।

यह कविता शांत समुद्र तट पर धूप की मर्मस्पर्शी सुंदरता को दर्शाती है। यह उस शांति, सौंदर्य, और सुकून को व्यक्त करती है, जो समुद्र के किनारे पर धूप और लहरों के संग बसी रहती है, और जो हर मन को शांति और ताजगी से भर देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-08.12.2024-रविवार.
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