"एक खेत पर स्वर्णिम घंटे की रोशनी"

Started by Atul Kaviraje, December 09, 2024, 09:46:08 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, सोमवार मुबारक हो

"एक खेत पर स्वर्णिम घंटे की रोशनी"

सूरज की किरनें जब धीरे-धीरे फैलने लगीं,
खेतों पर पड़ी सोने सी लाइट, जैसे सूरज ने अपना राज खोला,
हर घास की पत्तियां झिलमिलाने लगीं,
जैसे आकाश ने अपनी आखिरी लोरी गाई हो।

स्वर्णिम घंटे की वह अद्भुत छटा,
किसी कवि की कल्पना, किसी कलाकार की चित्रकारी,
धरती के आंचल में बसी एक अनुपम सुंदरता,
जिसमें हर रंग, हर आकर, हर छाया एक नई कहानी कह रही थी।

फूलों पर पड़ी सूर्य की सोनी रौशनी,
जैसे वे भी मुस्कुराने लगे हो, कुछ कहना चाहते हो,
हवा भी जैसे थम गई हो, धीरे-धीरे फैलती सुगंध में,
वह सुंदरता, वह शांति, जो शब्दों से परे थी।

सोने जैसी धूप, खेतों में फैली हुई,
गांव के पथ पर चलते हुए किसान की छाया,
राहों में बसी ममता की एक झलक,
हर कदम के साथ धरा पर सोने की लकीरें उकेरती जाती हैं।

आसमान के नीले आंचल में हलके बादल तैर रहे,
सूरज की किरणें उन्हें छूने की कोशिश कर रही थीं,
फिर एक शांत और मधुर ध्वनि, जैसे प्रकृति ने अपना गीत गाया हो,
पत्तियां, घास, और शाखाएँ साथ में थिरकने लगीं,
यह समय था जब धरती ने खुद को समर्पित किया था आकाश के सामने।

कुछ दूर एक नदी बह रही थी,
उस पर सूर्य की किरणें जैसे सोने की चादर फैला रही हों,
पानी के ठंडे प्रवाह में हंसते हुए आकाश का प्रतिबिंब,
आसपास की हर चीज़ में एक नया जीवन, एक नई ऊर्जा समाहित हो रही थी।

किसान ने अपने हल को हल्के से खींचा,
धरती में बीज डालते हुए उसने यह पल अपने ह्रदय में बसा लिया,
स्वर्णिम घंटे की रोशनी ने उसे एक नयी ताकत दी,
उसके हाथों में वह आस्था थी, जो उस भूमि से जुड़ी थी,
हर बीज में भविष्य की उम्मीदें थीं, हर अन्न में ईश्वर का आशीर्वाद था।

यह स्वर्णिम रोशनी, जैसे नयी सुबह का अहसास,
वह रौशनी, जो न केवल खेतों में, बल्कि हर दिल में बसी हो,
यह प्रकृति का संदेश था, एक चिरंतन बंधन का,
धरती और आकाश के बीच, जीवन और प्रकृति के बीच।

यह दृश्य, यह धूप, यह खेत, यह जीवन,
सब कुछ जैसे एक अदृश्य धागे से बंधा था,
आत्मा को शांति, दिल को राहत, और जीवन को एक नया उद्देश्य,
स्वर्णिम घंटे की यह रोशनी, हमेशा के लिए हमारे साथ रहेगी।

     यह कविता खेतों पर सूर्य की स्वर्णिम किरणों के गिरने के अद्भुत दृश्य को बयान करती है। इस कविता में प्रकृति, जीवन, आशा और आत्मा के अदृश्य जुड़ाव को बहुत ही सुंदर तरीके से चित्रित किया गया है। हर शब्द में वह शांति और ऊर्जा महसूस होती है, जो सूरज की किरणों से फैलकर धरती और मनुष्य के जीवन को प्रभावित करती है।

--अतुल परब
--दिनांक-09.12.2024-सोमवार.
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