"मोमबत्ती की रोशनी में डिनर टेबल"

Started by Atul Kaviraje, December 10, 2024, 07:37:00 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शुभ संध्या, मंगलवार मुबारक हो

"मोमबत्ती की रोशनी में डिनर टेबल"

रात के सन्नाटे में मोमबत्ती की लौ झिलमिलाती है,
स्मृतियों की तरह उसकी हल्की सी आंच दिल को छू जाती है।
टेबल पर सजावट कुछ खास, जैसे हर चीज़ में छिपा हो प्यार,
मोमबत्ती की रोशनी में हर एक पल लगता है ख्वाब सा यार।

सांसों की घनघनाहट और चांद की सुकून भरी चुप्प,
टेबल पर फैलती उस रोशनी में, हर जगह है नर्मी, हर जगह है तपन।
सिल्क की नेपकिन, चमचमाती प्लेटें, और गिलासों में झलकती नज़ारे,
मोमबत्ती की लौ के संग चांदनी भी करती हो जैसे रास।

खुशबू सुघंधी, दिल को लुभाती हुई,
नफ़ीस पकवानों से टेबल सजा, एक सपना सा लगता है।
दूरी में बसी वो मीठी सी हंसी, और प्यार के रंगीन जज़्बात,
हर काटे हुए खाने में जैसे नए रंग भर जाए।

वह हलकी सी रोशनी, जो मन को गहराई में छू जाए,
खास होती है मोमबत्तियों की, जैसे किसी ने सच्चे प्रेम से तुझे सजाया।
आंखों में चमक, चेहरे पर मुस्कान, लम्हे एक अद्वितीय रिश्ते का रूप ले लेते हैं,
जब मोमबत्ती की धधकते स्वरुप में, बातें दिल की ताजगी को छेड़ते हैं।

मौन होते हुए भी, ये लम्हें बोलते हैं,
कुछ कह रहे होते हैं, बिना शब्दों के, बस एहसासों के।
टेबल पर पड़ी मोमबत्ती की रोशनी में,
जीवन के सरलतम और सुंदरतम पल एक साथ बहते हैं।

तेज रफ्तार से भागती दुनिया को पीछे छोड़,
यह क्षण हमें सिखाता है कि असल सुख तो सादगी में छिपा होता है।
सिर्फ एक मोमबत्ती की उज्ज्वलता, और कुछ नहीं,
रात के सन्नाटे में साथ बिठाकर प्रेम को सहजता से अपनाना।

कभी इस मोमबत्ती की रौशनी में आप खुद को देखेंगे,
और पाएंगे कि हम अपने सबसे अच्छे रूप में होते हैं,
जब कोई खास हमारे पास हो, तब दिल से दिल मिलते हैं,
जब मोमबत्तियों की लौ, हमें एक दूसरे के पास खींचती है।

हां, यही है मोमबत्ती की रोशनी में डिनर टेबल का जादू,
जब हर कोई शांति से बैठा हो, और समय थम सा गया हो,
यह एक प्रेम का संवाद, बिना शब्दों के, बिना आवाज़ के,
बस सच्ची मोहब्बत, समर्पण और खुशियों की मीठी सी झलक।

     यह कविता मोमबत्ती की रोशनी में सजे डिनर टेबल के सौंदर्य और उस विशेष क्षण की भावनाओं को व्यक्त करती है, जब हर चीज़ प्रेम और शांति से भरी होती है। यह रात के शांति और सुकून को, विशेषकर उस वातावरण को बयां करती है, जहां प्रेम और रिश्ते एक नए रूप में खिलते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-10.12.2024-मंगळवार.
===========================================