"कैंडललाइट डिनर सेटिंग"

Started by Atul Kaviraje, December 10, 2024, 10:33:15 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, मंगलवार मुबारक हो

"कैंडललाइट डिनर सेटिंग"

चमकते दीपों में बसी एक खामोशी,
मौन में समाहित एक अनोखी सी जोशी।
टेबल पर सजी, मोहब्बत की छोटी-सी दास्तां,
कैंडललाइट में ढल रही है रात की पहचान।

आलंबित मोमबत्तियाँ, जैसे प्रीत का राग,
मुलायम सी रौशनी में हर एक ख्वाब।
संगीत की हल्की लहरें बज रहीं हैं मन में,
सांसों का मिलन, जैसे हवा में महक रहे हों गुलाब।

कांच के गिलासों में बसी एक प्यारी सी शराब,
चमकते प्लेट्स, जिनमें रंगीन व्यंजन,
संग जोड़े हैं स्वाद और खुशबू का मेला,
हर एक टुकड़ा, जैसे स्वर्ग से आई कोई दुआ।

नीचे बिछी टेबल क्लॉथ, सफेद और सादी,
इक नन्ही सी सिम्फनी, बुनती है लाजवाब यादें।
हाथों में चुम्बन, आँखों में प्यार की गहराई,
कैंडललाइट में लहराती रौशनी, जैसे भरी हो मिठाई।

गुज़रते वक़्त की रफ़्तार थम सी जाती है,
मूल्यवान पल में जीवन के हर सपने रंग पाते हैं।
तेज धड़कन, हल्की सी मुस्कान और शरम,
कैंडललाइट डिनर के इस पल में एक गहरी अद्भुत शर्म।

आसपास फैलती मोहब्बत की ये अद्भुत खुशबू,
सजाती है यह शाम, जो दिल में बसी हो एक जादू।
हर दीया जल रहा है, जैसे रोशन हो कोई दिल,
जिसमें बसी हो प्रेम की एक प्यारी सी सिल्क।

शोर से दूर, इस शांतिकामक रात्रि में,
हम हैं अकेले, केवल हम दोनों के बीच।
आंखों में बसी है एक मीठी सी ख्वाहिश,
जिसे शब्दों से ज्यादा, हम महसूस कर रहे हैं इस रोशनी में।

कैंडललाइट डिनर की यह रोशन रात,
हमें याद दिलाती है प्यार के हर छोटे-बड़े राज़।
हर एक दीप, जैसे एक नज़रिया है नए प्यार का,
हर लम्हा बुनता है एक अमिट रेशमी जादू।

नम हवा में ताजगी का अहसास होता है,
जब साथ बैठकर यह शाम और भी ख़ास होता है।
इसी कैंडललाइट डिनर में बसी है सच्ची मोहब्बत,
जो शब्दों से नहीं, दिलों से होती है साकार।

     यह कविता कैंडललाइट डिनर सेटिंग के रोमांटिक और सुकून से भरे माहौल को व्यक्त करती है, जहाँ रौशनी, प्यार, और शांति का एक सुंदर संगम होता है।

--अतुल परब
--दिनांक-10.12.2024-मंगळवार.
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