"शाम की लहरों के साथ शांत समुद्र तट"

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2024, 08:26:36 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, बुधवार मुबारक हो

"शाम की लहरों के साथ शांत समुद्र तट"

शाम का समय, जब सूरज धीरे-धीरे डूबने को है,
आकाश रंगों से भरने लगता है, जैसे कोई चित्रकार अपनी कल्पना छेड़े,
नीला आकाश अब सुनहरे रंगों में बदलने लगा है,
आंधेरे की चुप्प, लहरों की हलचल में खोने लगी है।

समुद्र का सुकून, लहरों का हलका-हलका गूंजना,
जैसे हर एक लहर, एक नई कहानी सुनाती हो,
समुद्र की लहरें धीरे-धीरे किनारे को छूती हैं,
एक प्रेमपूर्ण स्पर्श, जैसे दिन और रात का मिलन हो।

विलीन होते सूरज की किरने अब समुंदर में सिमट रही है,
लहरों के साथ उसकी रौशनी जैसे गुम हो रही हो,
किनारे पर रेत, ताजगी से सनी हुई, ठंडी हो रही है,
समुद्र की गहरी शांति को महसूस कर, हृदय में एक हलकी सी हलचल हो रही है।

चांद की रौशनी से समुद्र का पानी रौशन हो जाता है,
रात का आकाश धीरे-धीरे अपनी छांव फैलाने लगता है,
लहरों की आवाज़ अब एक गहरी संगीत में बदल जाती है,
जैसे वह गुनगुनाती हो, और दिन की सारी थकान को बहा कर ले जाती हो।

एक पल, उस शांत समुद्र तट पर बैठ कर,
जितनी देर भी समय बिताओ, वो कम ही लगता है,
सभी चिंताएँ और डर, एक तरफ़ हो जाते हैं,
बस लहरों की आवाज़ और आकाश के रंगों में खो जाने का अहसास होता है।

सर्द हवाएँ ठंडी-ठंडी चेहरे पर महसूस होती हैं,
हर सांस में समंदर की ताजगी समाती जाती है,
शाम की लहरें किनारे को धीरे से चूमती हैं,
जैसे वे अपनी पूरी स्फूर्ति से तुमसे मिलकर बोलना चाहती हों।

शाम के समय समुद्र किनारे की यह शांति,
कुछ कह नहीं सकती, पर महसूस की जा सकती है,
यह वह क्षण है जब शब्दों की आवश्यकता नहीं,
हर चीज़, हर लहर, हर आकाश की रंगत, अपने आप में एक प्रेम कथा कहती है।

आखिरकार, जब सूरज पूरी तरह अस्त हो जाता है,
समुद्र की लहरें अब चाँद की रौशनी से सज जाती हैं,
संध्या की ओर बढ़ते हुए यह शांत समुद्र तट,
तुम्हें एक अनकही शांति और आत्मिक सुख का अनुभव कराता है।

     यह कविता शाम के समय समुद्र तट पर लहरों और शांति के मिलन को व्यक्त करती है, जहां सूरज के अस्त होने और चाँद के उगने के बीच एक अद्भुत वातावरण बनता है। लहरों की हलचल और रेत की ठंडक हमें आत्मिक शांति का अहसास कराती है, जो शब्दों से परे होती है।

--अतुल परब
--दिनांक-11.12.2024-बुधवार.
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