"पेड़ों से छनकर आती धूप"

Started by Atul Kaviraje, December 12, 2024, 09:18:50 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"पेड़ों से छनकर आती धूप"

पेड़ों से छनकर आती धूप,
मोहक सी रौशनी में लहराती है,
धरती पर बिछती एक सुनहरी चादर,
जैसे हवा भी मुस्कुराती है।

हरी-भरी शाखाओं से गूंजती है बयार,
पत्तों की सरसराहट में बसी है एक प्यार,
जरा सा झूमें, एक हलकी सी आवाज,
सपनों की तरह बहती है हर एक छांव।

कभी चमकते सूरज की किरने से चुमती है धारा,
तो कभी नरम रेशमी धूप का रगड़ता प्यारा,
पेड़ों के झुके सिर में बसी शांति की एक राह,
जहाँ हर क़दम में होते हैं नए रंगों का आभास।

धूप और छांव का यह सौंदर्य कैसा है अद्भुत,
जो दिल को सुकून देता है, मन को करता है मस्त,
फूलों की मुस्कान और पत्तों की माया,
हर सुबह में सजी होती है एक नई धारा।

धूप के छिटकते रेशे, जैसे कोई प्यारी सी कहानी,
संध्या की ताजगी में मिलती है एक नई नजाकत,
पेड़ों की ऊँची छांव में बसी है गहरी खामोशी,
जो दिल में एक सुखद अहसास भर देती है रूहानी।

हर शाख में बसी एक नई उम्मीद,
जो उगते सूरज के साथ उड़ती है हवा,
पेड़ों से छनकर आती धूप में होती है एक नयी ताजगी,
जो जीवन की राहों को करती है रोशन, सजीव और सुकून भरी।

पेड़ों की छांव और धूप का यह मिलन,
जीवन के हर रंग को करता है परिपूर्ण,
जैसे उगता सूरज और रात की चाँदनी,
वैसे ही मिलते हैं जीवन में सुख-दुःख के हर बुरे-सुखे धागे।

धूप की सुनहरी किरणें, जैसे जीवन में हो एक प्रेरणा,
जो नकारात्मकताओं से बाहर निकलने की राह दिखलाती हैं,
पेड़ों के साए में छिपी शांति, जैसे जीवन की एक सीख,
जो हर कदम पर उजागर होती है, अगर हम इसे महसूस करें।

पेड़ों से छनकर आती धूप,
हर एक सुबह, नई उमंग और उम्मीद लाती है,
हर बूँद में बसी है एक ताजगी,
जो हमारी रूह में एक अद्भुत ताजगी भर जाती है।

     यह कविता पेड़ों से छनकर आती धूप की सुंदरता और जीवन में इसके द्वारा लाए गए सुकून, ताजगी और प्रेरणा को दर्शाती है। यह धूप और छांव के बीच के संतुलन को भी महसूस कराती है, जो जीवन के हर पहलू को और भी सुंदर बना देता है।

--अतुल परब
--दिनांक-12.12.2024-गुरुवार.
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