"बगीचे में टिमटिमाती रोशनी"

Started by Atul Kaviraje, December 12, 2024, 09:18:45 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"बगीचे में टिमटिमाती रोशनी"

शाम की घनी सियाही में, धीरे-धीरे आकाश सो जाता है,
बगीचे की राहों पर, नन्ही सी रोशनी जगमगाती है।
फूलों के बीच बसी, ठंडी और हल्की सी हवा,
संग ले आती है मन को शांति और दिल को सुखी कर जाती है।

टिमटिमाते दीपक, जैसे आकाश से गिरे तारे,
हर एक हलकी सी बत्तियाँ, लाती हैं चाँद के जैसे नज़ारे।
वो रोशनी, जो दिल में उम्मीदें जगाती है,
जैसे हर कदम पर कोई रहस्यमयी राग सुनाती है।

पत्तियों पर गिरती, रात की हलकी सी नमी,
उनमें बस रही चाँदनी की चमक, जैसे कुछ खास बात हो।
हवाएँ भी चुपके से गुजरती हैं इन बत्तियों के पास,
जैसे कोई खुदा अपने आप को बगीचे में समेटता हो।

रोशनी की टिमटिमाती लकीरों में छिपी हैं कहानियाँ,
वो पुरानी यादें, जो हमारी जड़ों से जुड़ी हैं।
हर दीपक, एक नई कहानी की शुरुआत बन जाता है,
हर कदम पर दिल में एक नई चाहत सज जाती है।

दूर कहीं, कोई रात का पक्षी गाता है,
पर बगीचे में बसी वो टिमटिमाती रोशनी,
मन को कुछ अलग ही सुकून देती है,
और हर एक घड़ी में खो जाने की कहानी सुनाती है।

पानी की छोटी-छोटी बूंदें, पत्तों से गिरती हैं,
जैसे वो दीपों की रोशनी में अपने अस्तित्व को निभाती हैं।
कभी हलकी सी आंधी चलती है, तो बत्तियाँ फड़फड़ाती हैं,
फिर भी बगीचे की शांति, हर विपत्ति को भुलाती है।

इन बत्तियों की चाँदनी, जितनी प्यारी है, उतनी गहरी भी,
यह बताती है कि हर अंधेरे के बाद, एक नया दिन आता है।
शाम के इस समय, जब बगीचे में टिमटिमाती रोशनी होती है,
मन का हर दुख धीरे-धीरे मिट जाता है, और दिल में एक नई उम्मीद खिलती है।

रोशनी के हर कतरे में, एक नई क़ीमत छिपी होती है,
जैसे हर दर्द और हर खुशी का एक अनमोल असर होता है।
बगीचे की इस शांति में, हर कदम पर एक नई राह बनती है,
और टिमटिमाती बत्तियाँ, जीवन के उन छोटे-छोटे सुखों को याद दिलाती हैं।

     इस कविता में बगीचे में टिमटिमाती रोशनी को जीवन की गहरी शांति, उम्मीद और सुख के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बत्तियाँ और उनकी हल्की सी रौशनी न केवल बगीचे को सुंदर बनाती हैं, बल्कि वे हमें एक नई दृष्टि और खुशी का अहसास भी कराती हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-12.12.2024-गुरुवार.
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