"तारों से भरे आसमान के नीचे शांत झील"

Started by Atul Kaviraje, December 12, 2024, 11:09:27 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"तारों से भरे आसमान के नीचे शांत झील"

तारों से भरे आसमान के नीचे,
चाँद की चाँदनी बिखरी हो जैसे,
शांत झील की लहरों में,
दूर से आ रही हो एक मीठी सी आवाज़।

झील की चुप्प, उसकी गहरी गोद में,
तारों की आभा जैसे उसमें समाई हो,
चाँद का प्रतिबिंब उसकी सतह पर,
एक सोने जैसा चमकता आकाश खोला हो।

हर तारा, एक सपना सा सजे,
पानी की लहरों में नाचते हुए।
सतह पर उभरते इन हल्के तरंगों के बीच,
मन का शांति एक नई धारा में बहता जाए।

आसमान में बसी वो अनगिनत उम्मीदें,
जैसे हर तारा कुछ कह रहा हो,
जिंदगी की कहानी, आकाश से बयाँ हो,
हर लहर में बसी हो कोई नयी राह हो।

झील का पानी, शांत और गहरा,
उसमें छिपा है आसमान का समंदर,
उसमें वो सारे सपने बहे जा रहे हैं,
जो कभी ना मिल पाए, कभी ना खोले गए।

आसमान में तारे झिलमिलाते हैं,
चाँद की रौशनी में सब कुछ रंगीन हो जाता है।
झील में बसी ये रात, शांति की मीठी मूरत,
जो हर दिल को अपनी गोदी में समेटे,
तारों से भरे आसमान के नीचे,
दुनिया के सभी दर्द जैसे कम हो जाएं।

वो आकाश की अनंतता, वो झील का सन्नाटा,
हर चीज़ पर जैसे एक कवि की लेखनी हो।
गहरी रात का यह दृश्य अनमोल है,
तारों से भरी रात, जैसे सारी सृष्टि की सूरत हो।

अंधेरे में भी वो नन्हे सितारे,
अपनी चमक से राह दिखाते जाते हैं।
झील की सतह पर तैरते हुए,
ये तारे हर दर्द, हर क़सक को बहाते जाते हैं।

आओ, हम सब इस शांति में खो जाएं,
तारों और चाँदनी की रौशनी में समा जाएं।
झील के पानी में हर दर्द को छोड़ दें,
और इस रात को एक नया गीत बना दें।

     यह कविता तारों से भरे आसमान और शांत झील की सुंदरता को व्यक्त करती है, जहाँ रात का गूढ़ शांति और चाँद-तारों की रौशनी हर मन को शांति और आंतरिक खुशी से भर देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-12.12.2024-गुरुवार.
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