"ताज़ी चाय और किताब"

Started by Atul Kaviraje, December 15, 2024, 08:47:41 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, रविवार मुबारक हो

"ताज़ी चाय और किताब"

सुबह की पहली किरण जब फैले आकाश में,
और हवा भी चुपचाप बसी हो किसी के पास में,
तब एक प्याली चाय का मन में ख्याल आता है,
साथ में एक किताब, जो आत्मा को चैन लाती है।

चाय की गर्मी, उसकी सौम्यता,
हर घूंट में मिलती है नई स्फूर्ति, नयापन,
स्वाद की लहरें छूने के बाद,
राहत का अहसास होता है पल-पल, हर बार।

किताब खुलती है धीरे-धीरे,
पन्ने बारी-बारी से मुड़ते जाते हैं,
अलौकिक शब्दों में बसा एक संसार,
हर शब्द, हर वाक्य, जैसे कोई अनमोल उपहार।

चाय की खुशबू, किताब का रंग,
दोनों मिलकर रचते हैं एक मधुर संग,
जैसे जीवन की भाग-दौड़ में भी
कुछ पल ठहर कर, हमें शांति मिलती है।

कभी किसी नायक की साहसिक यात्रा,
कभी किसी कवि का दिल से लिखा गीत,
हर पन्ने में बसी है एक नई दुनिया,
हर चाय की प्याली में समाई है एक नई राहत की राहत।

चाय के कप में गरमाहट की लहर,
किताब की कहानी में गहराई का असर,
दोनो मिलकर जैसे समय थाम लें,
मुझे यहाँ और अब कुछ भी न चाहिए, बस यह प्याला और किताब मेरे पास हो।

चाय की चुस्कियों में खो जाती हैं सारी थकान,
किताब के पन्नों में समाती है नई पहचान,
हर पल, हर घड़ी, ये दोनों साथी,
मेरे अकेलेपन में बस गए हैं सच्चे साथी।

कभी एक ताजगी से भर देता है चाय का स्वाद,
तो कभी कहानी के पन्नों में खो जाने का कुछ खास राज़,
जैसे चाय और किताब की जोड़ी हो विशेष,
जिनमें छुपे हैं अनगिनत सुंदर विचारों के विशेष।

गर्म चाय के साथ ठंडी हवा का सुख,
किताब के हर शब्द में ढ़ूंढ़ते हैं हम कुछ,
कभी हंसी, कभी आंसू, कभी शांति,
कभी किसी नायक के संघर्ष की दीवारें, जिनमें बसी है जिंदादिली।

अब हर दिन की शुरुआत ऐसे होती है,
चाय की प्याली और किताब के साथ,
सभी दुनिया की हलचलें, ये चुपके से छोड़ देते हैं,
और मुझे एक अद्भुत यात्रा पर ले जाते हैं।

यह पल, यह सादगी, यह चाय और किताब,
मुझे देता है जीवन का असली स्वाद,
साथ दोनों के, ये दो अच्छे साथी,
जैसे ढूंढते हैं हमें आराम और संतुष्टि का रास्ता।

हर दिन की शुरुआत एक नई उम्मीद के साथ,
कभी किसी शब्द के साथ, कभी किसी चाय की प्याली के साथ,
किताबें कहानियाँ सुनाती हैं, चाय हमें राहत देती है,
और जीवन की राह को सरल बना देती है।

ताज़ी चाय और किताब का यह संगम,
हमें रचता है एक अद्भुत जीवन,
जहाँ हर घूंट में बसी हो संतुष्टि की बात,
जहाँ हर पन्ने में सजी हो एक नई शुरुआत।

--अतुल परब
--दिनांक-15.12.2024-रविवार.
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