भारतीय राजनीति: गहनता का मार्ग-1

Started by Atul Kaviraje, December 15, 2024, 09:53:59 PM

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Atul Kaviraje

भारतीय राजनीति: गहनता का मार्ग-

भारत, जो विविधता से भरा हुआ एक विशाल देश है, उसकी राजनीति भी उतनी ही विविध और जटिल है। भारतीय राजनीति की गहनता को समझने के लिए हमें इसके ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। भारतीय राजनीति के गहनता का मार्ग न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से जुड़ा है, बल्कि यह समाज के हर क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता और उन बदलावों को स्वीकार करने की इच्छा से भी संबंधित है। यह लेख भारतीय राजनीति की गहनता को विस्तार से समझने का प्रयास करेगा।

भारतीय राजनीति का ऐतिहासिक संदर्भ
भारतीय राजनीति की गहनता को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक संदर्भ को देखना आवश्यक है। भारतीय राजनीति का इतिहास ब्रिटिश उपनिवेशवाद से शुरू होता है, जब भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश साम्राज्य का शासन था। स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी, और भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों ने समानता, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के लिए संघर्ष किया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष किया।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारतीय राजनीति को एक नई दिशा मिली, जब भारतीय संविधान का निर्माण हुआ। भारतीय संविधान ने लोकतांत्रिक मूल्यों, अधिकारों और कर्तव्यों को स्थापित किया। यह संविधान भारत को एक गणराज्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें विविधता और एकता का आदर्श प्रस्तुत किया गया है।

लोकतंत्र की गहनता
भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसमें हर नागरिक को मतदान का अधिकार है। भारतीय राजनीति की गहनता का एक प्रमुख पहलू इसका लोकतांत्रिक ढांचा है। यह लोकतंत्र केवल चुनावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति को समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय प्रदान करने के प्रयासों से भी जुड़ा है।

भारतीय लोकतंत्र की गहनता इसमें निहित है कि इसमें विभिन्न जाति, धर्म, भाषा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग रहते हैं। इन विविधताओं के बावजूद, भारतीय राजनीति ने हमेशा एकता का संदेश दिया है। लोकतंत्र की सफलता इसी पर निर्भर करती है कि विभिन्न समुदायों के लोग एक दूसरे के अधिकारों का सम्मान करें और सहअस्तित्व में विश्वास करें।

राजनीतिक दलों की भूमिका
भारतीय राजनीति की गहनता का दूसरा पहलू इसके राजनीतिक दलों की भूमिका है। भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों का महत्व अत्यधिक है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), और क्षेत्रीय दल जैसे तृणमूल कांग्रेस, सपा, कांग्रेस (आई), और बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) भारतीय राजनीति के केंद्र में हैं।

राजनीतिक दलों का गठन समाज की विभिन्न आवश्यकताओं, विचारधाराओं और हितों को प्रतिनिधित्व देने के लिए किया गया है। कांग्रेस पार्टी का उदय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है, जबकि भाजपा का उदय हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ा है। इसके अलावा, क्षेत्रीय दलों का उदय राज्यों की राजनीति की अनूठी स्थिति को दर्शाता है, जो अक्सर राष्ट्रीय राजनीति से अलग होती है।

सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ और राजनीति
भारतीय राजनीति की गहनता का एक महत्वपूर्ण पहलू उसकी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से जुड़ा हुआ है। भारत एक विकासशील देश है, और यहां भिन्न-भिन्न सामाजिक वर्गों के बीच भेदभाव, गरीबी, बेरोजगारी और असमानता की समस्या लगातार बनी रहती है।

भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विषमताओं का फर्क भी राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित करता है। भारत की अधिकांश जनता ग्रामीण इलाकों में निवास करती है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है। इसके बावजूद, राजनीतिक दलों ने इन समस्याओं को प्रमुख मुद्दों के रूप में प्रस्तुत किया है, ताकि इनका समाधान किया जा सके।

सरकारी योजनाओं जैसे "मेक इन इंडिया", "स्वच्छ भारत अभियान", "प्रधानमंत्री आवास योजना", "उज्जवला योजना", और "जन धन योजना" ने सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में कुछ सुधार करने का प्रयास किया है। हालांकि, इन योजनाओं को कार्यान्वित करने में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अड़चनों का सामना करना पड़ा है, जिससे इनकी सफलता पर सवाल उठते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.12.2024-रविवार.
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