ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण:-1

Started by Atul Kaviraje, December 15, 2024, 09:55:59 PM

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Atul Kaviraje

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण:-

भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण एक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका का मूल्य समय के साथ बढ़ा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति अभी भी पारंपरिक और सामाजिक बंधनों से घिरी हुई है। इसलिए, महिलाओं का सशक्तिकरण ग्रामीण समाज में विकास, समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति:
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ अक्सर पारंपरिक और रूढ़िवादी मान्यताओं के अधीन रहती हैं, जिनमें उनकी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और समान अधिकारों की परिधि सीमित होती है। यहां महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृषटिकोन से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विशेषकर, साक्षरता दर, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित होते हैं।

1. शिक्षा की कमी:
ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों का शिक्षा स्तर अपेक्षाकृत कम है। परिवारों की प्राथमिकता बेटे को शिक्षा देने की होती है, क्योंकि उन्हें यह विश्वास होता है कि लड़के ही परिवार का भरण पोषण करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, लड़कियाँ स्कूल छोड़ देती हैं या वे सीमित शिक्षा प्राप्त करती हैं, जो उनके जीवन में बेहतर अवसरों की कमी को जन्म देती है।

2. आर्थिक निर्भरता:
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ आमतौर पर घर के कामकाजी, कृषि कार्यों में लगी रहती हैं और आर्थिक दृष्टिकोन से अधिकतर पुरुषों पर निर्भर रहती हैं। उन्हें स्वतंत्र रूप से कोई व्यापार या पेशा अपनाने का अवसर नहीं मिलता है।

3. स्वास्थ्य और पोषण समस्याएँ:
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी का अभाव होता है। शारीरिक, मानसिक और प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करते हुए भी महिलाएँ अक्सर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं से वंचित रहती हैं।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक बंधन:
रूढ़िवादी समाज और पितृसत्तात्मक मानसिकता की वजह से, महिलाओं को समाज में अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। विवाह, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों में भी महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलते।

महिला सशक्तीकरण के उपाय:
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई उपाय किए गए हैं, जो उन्हें स्वतंत्रता, समानता और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। यह उपाय न केवल महिलाओं को सशक्त करते हैं, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी सहायक हैं।

1. शिक्षा में सुधार:
महिलाओं का सशक्तिकरण शिक्षा से शुरू होता है। जब महिलाएं शिक्षित होती हैं, तो वे अपने अधिकारों को समझ सकती हैं, बेहतर निर्णय ले सकती हैं, और परिवार के जीवन को सुधार सकती हैं। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्मार्ट ग्राम योजना, और आधार कार्ड के माध्यम से शिक्षा का पंजीकरण। इन योजनाओं के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

2. स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता:
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना अनिवार्य है। सरकारी योजनाओं जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ दी जा रही हैं। इससे प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण और सामान्य स्वास्थ्य के मुद्दों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

3. आर्थिक स्वावलंबन:
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups - SHGs) के माध्यम से महिलाओं को छोटे-छोटे व्यवसायों में सहायता दी जाती है, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाएँ महिलाओं को छोटे उद्योग स्थापित करने में मदद करती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.12.2024-रविवार.
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