"एक शांत नदी पर प्रतिबिंबित सितारे"

Started by Atul Kaviraje, December 15, 2024, 11:29:41 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, रविवार मुबारक हो

"एक शांत नदी पर प्रतिबिंबित सितारे"

रात का आकाश गहरा और शांत,
सपनों की तरह, न कोई चिंता, न कोई तर्क।
चाँदनी की हल्की रोशनी में बसी एक गहरी सुकून,
और नदी की सतह पर, सितारे बिखरे हुए, जैसे कोई सुरीली धुन।

नदी की शांति में, जैसे कुछ छिपा हो,
हर लहर में एक नई कहानी हो।
वह चाँद और सितारे, जो आकाश में चमकते हैं,
नदी की गहरी गोद में अपनी छाया छोड़ते हैं।

हर सितारा, जो आसमान में तैरता है,
नदी के पानी में धीरे-धीरे गहराता है।
जैसे वह खुद को समर्पित करता है,
नदी के आंचल में अपने अस्तित्व को जोड़ता है।

नदी का पानी हल्का, जैसे कांच की परत,
उसे छूते ही छिछले से बिखरते हैं सितारे के तंतु,
फिर भी वह अपने स्थान पर बने रहते हैं,
नदी और सितारों के बीच अनजानी सी कोई बात जुड़ी रहती है।

एक सितारा, और फिर दूसरा,
आसमान से उतरते, नदी में समाते,
क्या यह भी कोई चमत्कार है, या प्रकृति का खेल?
जैसे नदी के भीतर आकाश ने अपना घर बना लिया हो।

चाँद का हल्का आभा, जैसे उसकी छाया सजी हो,
नदी की गोदी में बसी, जैसे वह खुद बसी हो।
हर एक सितारा, हर एक हल्की लहर,
मानो यह सारी दुनिया किसी अदृश्य संगीत से बंधी हो।

नदी के पानी में जो चमक दिखती है,
वह सिर्फ पानी की नहीं, उन सितारों की भी है।
एक-दूसरे के साथ, एक-दूसरे में समाहित,
जैसे समय और स्थान ने अपना अस्तित्व खो दिया हो।

वह रात की गहरी शांति, वह आसमान का उजाला,
नदी और सितारे दोनों में एक अविस्मरणीय मिसाल,
सिर्फ हमें देखना होता है, बस महसूस करना,
कि इस शांत नदी में आकाश और पृथ्वी की कोई सीमा नहीं।

जो सितारे आकाश में दूर-दूर तक चमकते हैं,
वे ही नदी की सतह पर सौम्यता से झलकते हैं।
और जैसे जैसे लहरें आती जातीं हैं,
सितारे भी अपनी राह में कभी स्थिर, कभी हलचल करते जाते हैं।

नदी का पानी और सितारों का खिलना,
कभी ना खत्म होने वाला यह एक सुंदर सपना।
रात की चुप्प, चाँद और आकाश का गान,
नदी में बसी सितारों की कहानी में बेजोड़ पहचान।

इसी नदी में, इन सितारों की कहानी है गहरी,
इनमें कोई ग़म नहीं, कोई चिंता नहीं, बस प्रेम की एक सीरी।
हर लहर, हर नन्ही सी लाइट,
हमें सिखाती है जीवन के सरलतम सत्य की राइट।

तो बैठो, देखो इस शांत नदी को,
जहाँ सितारे खुद को अपनी पूरी महिमा से दिखाते हैं।
यह दृश्य, यह सुंदरता, यह शांति,
कभी भी खोने से पहले इसे अपनी आत्मा में समाहित कर लो।

--अतुल परब
--दिनांक-15.12.2024-रविवार.
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