"पेड़ के नीचे पिकनिक की टोकरी और कम्बल"

Started by Atul Kaviraje, December 16, 2024, 04:05:41 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, सोमवार मुबारक हो

"पेड़ के नीचे पिकनिक की टोकरी और कम्बल"

नीला आकाश, एक शांत सा दर्पण,
जहाँ बादल चलते, धीरे-धीरे, जैसे धुंधले कंबल का आच्छादन,
वहाँ, एक विशाल पेड़ खड़ा है, अपनी शाखें फैलाए,
उसकी छांव में शांति, एक स्वप्न सा साया।

नीचे बिछा हुआ कम्बल, नर्म और मुलायम,
उस पर रखी पिकनिक की टोकरी, संजीवनी का आलंब,
सूरज की किरणें छनकर आ रही हैं,
हवा में रेशमी गंध बसी है, फूलों की महक भी साथ चल रही है।

हर ओर हरियाली की चादर बिछी है,
चहचहाते पक्षी अपना गीत गा रहे हैं,
पेड़ की शाखों पर पत्तियाँ धीरे-धीरे झर रही हैं,
गांठ से जुड़ी जड़ों में ज़िन्दगी की रचनाएँ बसर रही हैं।

पिकनिक की टोकरी खोलते हैं हम,
संग लाए हैं फल, रोटियाँ, बर्फी और ठंडी चाय,
हर बाइट में बसी है खुशियाँ, हर स्वर में हलकी सी हंसी,
गले मिलते रिश्ते, और मीठे ख्यालों की ध्वनियाँ।

हवा में बसी है एक ठंडक, मन को छूने वाली,
चाय की प्याली में उभरती धुंए की लकीरें,
झील के पास लहरों की नर्म सी ताजगी,
मन का हर कोना सुकून से भर जाता है, हर शब्द से कुछ और प्यारी हो जाती है।

सफेद बादल अब धीरे-धीरे नीले आसमान में समाते हैं,
पेड़ की छांव में जैसे कोई पुराने वक्त की यादें सिमट जाती हैं,
संग बैठकर, हम अपने पुराने दिनों की बातों में खो जाते हैं,
हर पल जैसे समय से मुक्त हो, हमें अपने आप में खो जाने की इजाजत देती है।

टोकरी से निकलती हैं स्वादिष्ट खुशबू,
संग प्यास बुझाती ताजगी से भरी चाय की प्यालियाँ,
चमचमाते आम, रंग-बिरंगे फल, और स्वच्छ रोटियाँ,
हर एक लम्हा जैसे जीवन की सरलता और सुख का अहसास कराती हैं।

कम्बल पर बैठते हैं हम, किसी पुराने दोस्त की तरह,
मन की हर बात बिन कहे समझ ली जाती है,
सुनते हैं हम, जीवन के छोटे छोटे सुखों की कहानियाँ,
जिनमें बसी होती है उस पेड़ की कहानी, उस हवाओं की आवाज़, उस धूप की मिठास।

धुंधले से सूरज के साथ, पेड़ के नीचे वो पिकनिक,
वो छायादार वक्त, चुपके से गवाही देता है,
कि सच्ची खुशियाँ छोटी-छोटी बातों में बसी होती हैं,
कभी टोकरी के स्वाद में, कभी हवा की नर्मी में, कभी एक हल्की हंसी में।

संग-संग बिताए ये पल जैसे स्वप्न हो,
जहाँ हर तनाव और चिंता बिन कहे उड़ जाती है,
पेड़ के नीचे पिकनिक, एक अद्भुत जगह,
जहाँ समय थम जाता है और हृदय एक नयी उमंग से भर जाता है।

दिन ढलने लगता है, और आकाश लाल रंग से सुसज्जित होता है,
लेकिन इस पेड़ के नीचे बैठी हमारी कहानी,
कभी समाप्त नहीं होती, यह शांति और प्रेम का आकाश बना रहता है,
एक यादों का खजाना, जो हम हमेशा अपने साथ रखते हैं।

इस पिकनिक की टोकरी में हम ना सिर्फ खाने की चीज़ें रखते हैं,
बल्कि उन क्षणों की खुशियाँ भी रखते हैं,
जो हमेशा हमारी यादों में बसी रहती हैं,
पेड़ के नीचे, इस कम्बल पर, हमेशा के लिए सुरक्षित और प्यारी।

--अतुल परब
--दिनांक-16.12.2024-सोमवार.
===========================================