"रात का जंगल जुगनूओं के साथ"

Started by Atul Kaviraje, December 17, 2024, 11:55:35 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, मंगलवार मुबारक हो

"रात का जंगल जुगनूओं के साथ"

रात का आकाश, गहरा और शांत,
चाँद की चाँदनी में, ज्यों कोई बिछी हुई चादर,
जंगल के भीतर एक ख़ामोशी बसी,
हर पेड़, हर पत्ता, जैसे अपनी बात कहने की कोशिश करता।

आंधी थम चुकी, वक़्त ठहरा हुआ,
हर साँस में रात की महक समाई,
और तभी, दूर कहीं से जुगनूओं की झिलमिलाहट आई,
चमकते जुगनू, जैसे आकाश में तारे गिरने लगे।

हर पत्ती की झंकार में, जुगनूओं का राग बसा,
रात के अंधेरे में उनकी लाइट्स एक नया रास्ता दिखा,
जैसे जीवन के रँग, कहीं खोने लगे थे,
और जुगनूओं के झिलमिलाते प्रकाश ने उन्हें पाया था।

जंगल में हर एक शाखा अब कुछ कह रही थी,
जुगनूओं के छोटे-छोटे सितारे, उनके राज़ बता रहे थे,
धीरे-धीरे कदम रखते हुए, जैसे समय थम सा गया,
हर झिलमिलाहट में एक नया संसार बसा।

वृक्षों के साए में, जुगनू अपना जादू बिखेरते,
धरती से आसमान तक, अपनी चमक छोड़ते,
लाइट की रेखाएं चाँदनी से मिलतीं,
रात के इस दृश्य में हर छाया खिलती।

चुप्प बैठकर, उन जुगनूओं को देखा मैंने,
जैसे वे छुप-छुप कर मुझे कुछ बता रहे हों,
क्या वो रात के रहस्य को जानते हैं?
क्या वे जंगल की आत्मा से जुड़े हुए हैं?

हवा में ताजगी, और दिल में एक ख्वाब सा,
जुगनू की चमक, जैसे आँखों में अक्स सा,
सारे जंगल में वो एक संगीत गूंजता,
जैसे रात का राग, मन को शांति का अनुभव कराता।

हर जलती जुगनू की लहर में, एक नई राह बनती,
जो भी उसका अनुसरण करता, वह कभी नहीं थमता,
वो जीवन का प्रतीक, वो निरंतर जलता प्रकाश,
जो हमें दिखाता है कि अंधेरे के बावजूद, आशा होती है पास।

रात का जंगल, जुगनूओं के साथ जैसे एक कविता बनता,
सभी तत्त्वों से जुड़ा, वह शांति का राग गाता,
हम सब उसे सुनते, महसूस करते, बिना बोले,
जुगनूओं की चमक में, हमारी आत्मा खिलती।

गहरी रात में, जुगनू अपने संग कुछ और भी लाते,
वे अपनी रोशनी से जीवन के गहरे राज़ बताते,
हम बस खड़े होते, जैसे किसी अदृश्य धारा के सामने,
और जुगनू की हल्की रौशनी, हमें अपनी धड़कन समझाती।

और ऐसे ही रात का जंगल, जुगनूओं के संग,
चुपचाप अपनी कहानी गढ़ता है, न कोई आवाज़, न कोई चुप्प,
हर एक चमक, हर एक लहर, एक गहरी याद बन जाती,
रात की इस जादुई यात्रा में हम खो जाते, बस मौन में।

कभी लौटते नहीं हम, उस खामोशी में खो जाते,
क्योंकि जंगल और जुगनूओं की रौशनी,
हमारे भीतर गहरी शांति भर जाती है,
और हम महसूस करते हैं कि इस अंधेरे में भी,
प्रकाश कहीं न कहीं मौजूद है,
बस उसे देखने की नजर चाहिए,
जैसे जुगनूओं की झिलमिलाहट, जो हमें देखाती है अपना रास्ता।

--अतुल परब
--दिनांक-17.12.2024-मंगळवार.
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