गायन का महत्व एवं भारतीय संगीत की विरासत-2

Started by Atul Kaviraje, December 20, 2024, 10:04:39 PM

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Atul Kaviraje

गायन का महत्व एवं भारतीय संगीत की विरासत-

शास्त्रीय संगीत की परंपरा
हिंदुस्तानी संगीत: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का आधार राग और ताल हैं। यह संगीत शैली मुख्य रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है। इसमें रागों के विविध रूप और ताल के अलग-अलग पैटर्न होते हैं। हिंदुस्तानी संगीत में ग़ज़ल, ठुमरी, द्रुपद, ख्याल जैसे विभिन्न प्रकार की गायन शैलियाँ शामिल हैं।

उदाहरण: गायक उस्ताद गुलाम अली खान और पं. भीमसेन जोशी जैसे संगीतज्ञों ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को ऊंचाई दी है। उनकी आवाज़ और गायन शैली ने संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया है।

कर्नाटिक संगीत: कर्नाटिक संगीत मुख्य रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है। यह भी राग और ताल पर आधारित है, लेकिन इसकी अपनी विशिष्ट शैली और प्रचलित राग हैं। कर्नाटिक संगीत में 'कीर्तन', 'भजन' और 'काव्य गायन' महत्वपूर्ण हैं।

उदाहरण: तानसेन, एम. एस. सुब्बलक्ष्मी और लता मंगेशकर जैसे महान कलाकारों ने कर्नाटिक संगीत के माध्यम से भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाया। विशेष रूप से एम. एस. सुब्बलक्ष्मी ने दक्षिण भारत के भक्ति संगीत को एक नई दिशा दी है।

लोक संगीत
भारतीय लोक संगीत अपनी विविधता और रंगीनता के लिए प्रसिद्ध है। यह ग्रामीण भारत की सरलता और आस्था का प्रतीक होता है। हर राज्य की अपनी विशिष्ट लोक संगीत शैली है, जो वहां की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ी होती है। लोक गीतों में प्रेम, प्रकृति, कृषि, त्योहार और जीवन की सरलता का चित्रण होता है।

उदाहरण: हरियाणा का "सुरमनी" संगीत, राजस्थान का "ग folk संगीत", बंगाल का "बाऊल संगीत" और पंजाब का "भांगड़ा" प्रसिद्ध लोक संगीत शैलियाँ हैं। इन शैलियों में संगीत के साथ-साथ नृत्य और पारंपरिक वाद्ययंत्रों का भी उपयोग होता है।

भारतीय संगीत का वैश्विक प्रभाव
भारतीय संगीत की विरासत न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत ने पश्चिमी देशों में भी एक विशेष स्थान बनाया है। भारतीय संगीत के वाद्ययंत्र, जैसे सितार, तबला, और संतूर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है। भारतीय संगीत ने पश्चिमी संगीत को भी प्रभावित किया है और बहुत से भारतीय संगीतकारों ने पश्चिमी संगीतकारों के साथ सहयोग किया है।

उदाहरण: रवि शंकर (सितार वादक) ने अपनी संगीत यात्रा से दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत को प्रस्तुत किया और जॉर्ज हैरिसन जैसे पश्चिमी संगीतकारों के साथ काम किया। इसी प्रकार, जॉन मुइर, पं. बिड़ला और जिमी हेंड्रिक्स जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों ने भारतीय संगीत की छाप छोड़ी है।

निष्कर्ष
गायन और भारतीय संगीत की विरासत का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। भारतीय संगीत की विविधता और इसकी समृद्ध परंपरा आज भी जीवित है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बनी रहेगी। गायन और संगीत के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को न केवल संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि पूरी दुनिया को भारत की अद्वितीयता का अहसास भी करा सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-20.12.2024-शुक्रवार.
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