"शांतिपूर्ण बगीचे में लंच ब्रेक 🌳🍃"

Started by Atul Kaviraje, December 22, 2024, 04:53:29 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, रविवार मुबारक हो

"शांतिपूर्ण बगीचे में लंच ब्रेक 🌳🍃"

रोज़ की भागदौड़ से थक कर, एक पल रुक जाओ,
बगीचे की हरी-भरी छांव में, शांतिपूर्वक बैठ जाओ। 🌿
फूलों की महक, हवा की मीठी बुनाई,
हर पत्ते में छुपी है, प्रकृति की कोई कहानी। 🌸🍂

काँपते हुए वृक्ष, जिनकी शाखाएँ हैं उठी,
मानों कोई गीत गा रही हो धरा की सुघड तंत्री। 🎶
हवा के साथ झूमते पत्ते, हल्की सी आवाज़,
एक अद्भुत सिम्फनी, बुनती है जीवन का राग। 🌬�🍃

सामने पड़ी टोकरी में लंच का स्वाद,
मधुर फल और रोटी, ताजगी का एहसास। 🍊🍞
हवा का झोंका, गुनगुनाता संग,
बगीचे में बैठकर जीवन लगता है रंग। 🌷🍏

यह एक पल है, जिसमें सब कुछ रुक जाता है,
फूलों की रंगत, पत्तों की झंकार, एक साथ गाता है। 🎶
गहरे नीले आकाश में, सूरज की किरणें बिछी,
लंच के साथ, मन में शांति और खुशी। 🌞🌼

आसपास की चिड़ियाँ, अपने गीत गाती हैं,
हरे रंग में बसी ताजगी, बगीचे को सजाती हैं। 🐦🌳
ताजे फलों की तरह, हर स्वाद में बसी राहत,
शांति में बसा है, हर लंच का सच। 🥪🍇

जिंदगी की धड़कन, एक पल के लिए रुक जाती है,
यह शांति का समय, दिल को आराम देती है। 💖
शांतिपूर्ण बगीचे में, लंच ब्रेक का अनुभव,
मन को सुकून, नयापन और संतुलन का प्रेरणा। 🌻🕊�

जब भी थक जाएं हम, तो पल भर के लिए बैठ जाएं,
इस बगीचे में, जीवन के अर्थ को महसूस करें। 🌱
लंच ब्रेक सिर्फ खाना नहीं, एक सच्ची राहत है,
शांति में बसा हर पल, यह जीवन का साथ है। 🍃🥙

     यह कविता बगीचे में शांतिपूर्वक लंच ब्रेक लेने के अनुभव को सुंदर शब्दों में व्यक्त करती है। 🌳🍃 इसमें प्रकृति के विभिन्न प्रतीक, जैसे फूल, पत्ते, चिड़ियाँ, सूरज और हवा, जीवन की शांति और ताजगी का एहसास देते हैं। 🍊🌷

--अतुल परब
--दिनांक-22.12.2024-रविवार.
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