"खिड़की के पर्दों से आती शाम की कोमल रोशनी 🌇🌸"

Started by Atul Kaviraje, December 22, 2024, 09:31:12 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, रविवार मुबारक हो

"खिड़की के पर्दों से आती शाम की कोमल रोशनी 🌇🌸"

दिन की थकान को विदा करता सूरज,
आधी रात तक पहुँचने की राह पकड़ता सूरज। 🌞
पर्दों से छनकर आती एक हल्की सी रोशनी,
संग लाती शांति, दिल में बजती है एक गुनगुनाहट सी। 🌿💫

विंडो से झांकता आकाश, रंग बदलते हैं,
धूप की आखिरी किरणें धीरे-धीरे सिमटते हैं। 🌅
चाँद की चुप्पी में घुलती है मुस्कान,
पर्दों के बीच से आती वो शाम की पहचान। 🌙✨

कोमल रोशनी के संग हवा भी आई,
तेरे ख़यालों में खो जाने की यादें लाई। 🌬�💭
ब्लाइंड्स की छांव में हर रंग झलकता,
संग उभरते ख्वाबों का एक नया रंग पलकों पे सजता। 🎨🕊�

शांति की मूरत, अब सब कुछ ठहर जाता है,
हर पल में खो जाने की सोच सवार जाता है। 🕯�
संग लाती है ये रोशनी दिल के कोने में गहराई,
एक नया शांति का एहसास और सुखद यादें सहेजाई। 🌸💖

पर्दों के झरोंकों से, एक नई दुनिया दिखती है,
सपनों का रंग, जैसे धीरे-धीरे बिखरती है। 🌷🌙
चाँद की चाँदनी में बसी है उस समय की याद,
जिसे लाइट की कोमलता देती है एक खास जादू की बात। ✨🌟

इस क्षण में जो शांति बसी है, वो अतरंगी,
जैसे लहरों में एक सुकून की छांव समाई। 🌊🌹
सभी घड़ी की खामोशी में, एक धीमा गान गूंजता है,
खिड़की के पर्दों से आती शाम की रोशनी जीवन को सौम्यता देती है। 🌿🎶

     यह कविता खिड़की के पर्दों से आती शाम की कोमल रोशनी को मनमोहक और शांतिपूर्ण रूप में प्रस्तुत करती है। 🌇🌸 कविते में 🌿, ✨, 🌙, 🌷, और 🕊� जैसे इमोजी शांतिपूर्ण पल, रंगों, और सौम्यता को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए गए हैं, ताकि पाठक उस अद्भुत माहौल में खो जाएं।

--अतुल परब
--दिनांक-22.12.2024-रविवार.
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