"हरी-भरी हरियाली और कोमल धूप"

Started by Atul Kaviraje, December 25, 2024, 09:42:43 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, बुधवार मुबारक हो

"हरी-भरी हरियाली और कोमल धूप"

सुबह की पहली किरण जैसे धरती को छूने आई,
हरियाली में बसी एक शांति, दिल में समाई।
वो कोमल धूप, जैसे बर्फ पर बहती हवा,
सुनहरी रश्मियाँ बिखरतीं, जैसे प्रेम से छूने आया।

हिरणों के दौड़ने की तरह, हर पत्ता थिरकता है,
मंजरियों में राग बसा होता है, मन बेतहाशा हर्षित करता है।
वृक्षों की छांव में बसी एक मीठी सी आंचल,
हरियाली की गोदी में जैसे समय हो जाता है मचल।

उतरी हुई धूप की हंसी, पत्तों के झुंड में मुस्काए,
हर कोने में एक राग, एक ताजगी घुल जाए।
प्यारी सी हवा, हर एक सांस में बसी,
संग चलने के लिए जैसे कोई साथी सबसे प्यारी।

किसी भी दिशा में नज़र दौड़ाओ, हरियाली की नज़ाकत,
कितनी सुंदरता छुपी हुई है इन हरे रंगों की छांव में।
पत्तों पर बसी ओस की बूँदें, जैसे छोटे-छोटे मोती,
जो धूप के स्पर्श से बिखरकर हो जाती हैं जोड़ी।

मुलायम धूप का स्पर्श धरती को जगाता है,
पानी में रिफ्लेक्शन जैसा हर रूप खिलाता है।
नदियाँ गा रही हैं, कोई सुखद राग,
कहीं दूर तक फैल रहे हैं इस धूप के भव्य राग।

आकाश में नीलापन, सूरज की हलकी मुस्कान,
सारे जंगल में फैल गई है उसकी सुनहरी शान।
कोमल धूप के साथ, हवा की सरसराहट,
मन को शांति का अहसास, और हृदय को एक रचनात्मक सुकून मिलता है।

पक्षी उड़ते हैं, हल्की धूप में लहराते,
अपने पंखों में जैसे जीवन के गीत छिपाए।
कहीं फूलों की महक, तो कहीं बागों की भीनी खुशबू,
सारी प्रकृति लहराती है, एक साथ बहुत कुछ कहती है।

हरियाली में समाई यह धूप, कोई जादू जैसा,
किसी आत्मा की शांति, किसी ख्वाब का हिस्सा।
हिरणों का खेलना, चाँदनी का सपना,
हर पत्ते की लहर, किसी गुप्त मंत्र का तमन्ना।

धूप की कोमलता, जैसे प्यार की छांव हो,
हरी-भरी हरियाली, हर दिल में रेशमी रंग हो।
यह सुकून, यह शांति, यह अनमोल आशीर्वाद,
सचमुच है एक इन्द्रधनुष, जो दिखता है बार-बार।

मन में उमंग, दिल में शांति बसी,
प्रकृति के हर रंग में एक कला छुपी।
हरी-भरी हरियाली और कोमल धूप में बसी ये दुनिया,
हम सभी के लिए एक तोहफा है, एक अनुपम जोड़ी।

--अतुल परब
--दिनांक-25.12.2024-बुधवार.
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