राम द्वारा रावण का वध और धर्म की विजय-1

Started by Atul Kaviraje, December 26, 2024, 11:29:23 AM

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Atul Kaviraje

राम द्वारा रावण का वध और धर्म की विजय (Rama's Killing of Ravana and the Victory of Dharma)-

रामायण, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान राम के जीवन के प्रमुख घटनाक्रमों का वर्णन किया गया है। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है, राम द्वारा रावण का वध और धर्म की विजय। यह घटना केवल एक युद्ध का विवरण नहीं है, बल्कि यह धर्म, सत्य, न्याय और ईश्वर की सर्वोच्च सत्ता के विजय का प्रतीक है। राम का रावण के खिलाफ युद्ध न केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष था, बल्कि यह सामूहिक रूप से न्याय, सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक बन गया।

1. रावण का अत्याचार और सीता हरण
रावण, जो लंका का अत्याचारी और दुष्ट राजा था, ने एक दिन भगवान राम की पत्नी सीता का हरण किया। रावण का यह कार्य एक प्रकार से अत्याचार और असत्य का प्रतीक था। वह अपने अहंकार और शक्ति के मद में अंधा हो गया था। रावण ने न केवल सीता का अपहरण किया, बल्कि राम के न्यायपूर्ण राज्य की अवहेलना की।

राम ने इस कार्य को अक्षम्य समझा और उन्होंने सीता की खोज में समस्त वनवास काल बिताया। इस दौरान उनके साथ भाई लक्ष्मण, हनुमान, और अन्य वानर सेनाओं का सहयोग मिला। राम ने इस दौरान रावण को चेतावनी दी थी कि उसके कर्मों का परिणाम निश्चित रूप से उसे भुगतना पड़ेगा।

उदाहरण: रावण का अत्याचार और सीता का अपहरण भारतीय संस्कृति में अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन गया। यह घटना न केवल राम के लिए, बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए एक चुनौती बन गई।

2. राम का धर्म और कर्तव्य
राम का जीवन हमे कर्तव्य, धर्म और सत्य का पालन करने का आदर्श देता है। रावण के विरुद्ध युद्ध का एक मुख्य कारण धर्म की रक्षा करना था। राम ने अपने जीवन में कभी भी कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे धर्म का उल्लंघन होता हो।

उनकी यह निष्ठा उनके युद्ध में भी साफ़ दिखती है, क्योंकि वे रावण के साथ युद्ध करते समय भी किसी प्रकार का अधर्म नहीं करते। वह जानते थे कि रावण जैसे अत्याचारी का वध करना धर्म का पालन करना है, और यही कारण है कि राम ने रावण से युद्ध किया।

उदाहरण: राम द्वारा रावण का वध करने के बाद जब रावण के शव पर राम ने ध्यान किया, तो राम ने कहा था, "मुझे रावण को मारने का कोई आनंद नहीं है। यह तो धर्म का निर्वाह है।" यह वाक्य राम के कर्तव्य और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

3. रावण का वध
राम ने अपनी पत्नी सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध किया। यह युद्ध लंका में हुआ और रावण की पूरी सेना भगवान राम के सामने खड़ी थी। राम और रावण के बीच घनघोर युद्ध हुआ, जो कई दिनों तक चला। अंत में, राम ने अपनी चतुराई और सत्य के मार्ग पर चलते हुए रावण को मारने में सफलता प्राप्त की।

रावण के वध के बाद, भगवान राम ने न केवल धर्म की विजय हासिल की, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि असत्य और अधर्म का अंत होना चाहिए। रावण का अंत यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति चाहे जितना शक्तिशाली क्यों न हो, अगर वह धर्म से विमुख होता है, तो उसकी पराजय निश्चित है।

उदाहरण: रावण का वध करने के बाद राम ने उसकी विदाई के समय रावण के अच्छे गुणों की भी सराहना की, जैसे उसका संगीत में निपुण होना और ज्ञान में गहरी पकड़। राम ने रावण के मरने के बाद भी उसे सम्मान दिया, जो यह दर्शाता है कि राम केवल धर्म की रक्षा करने के लिए युद्ध करते थे, न कि किसी को अपमानित करने के लिए।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-25.12.2024-बुधवार.
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