नई शैक्षणिक पद्धतियाँ -1

Started by Atul Kaviraje, December 26, 2024, 10:49:17 PM

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Atul Kaviraje

नई शैक्षणिक पद्धतियाँ - उदाहरण सहित विवेचन-

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को एक सक्षम और जागरूक नागरिक बनाने के लिए तैयार करना है। पिछले कुछ दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, और इस बदलाव की वजह से नई शैक्षणिक पद्धतियाँ विकसित हुई हैं। इन पद्धतियों में तकनीकी विकास, विद्यार्थियों की भागीदारी और उनकी रचनात्मकता पर अधिक जोर दिया जाता है। पारंपरिक शिक्षण विधियाँ अब केवल एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती हैं, जबकि नई पद्धतियाँ विद्यार्थियों को सीखने के लिए एक सक्रिय भूमिका में डालती हैं।

नई शैक्षणिक पद्धतियों की विशेषताएँ
तकनीकी का उपयोग: आजकल के शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी का महत्व बढ़ गया है। स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल सामग्री, ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-लर्निंग आदि ने शैक्षणिक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इन पद्धतियों में छात्रों को वीडियो, एनीमेशन, पॉडकास्ट और वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से अधिक इंटरैक्टिव तरीके से शिक्षा दी जाती है।

उदाहरण: आजकल कई स्कूल और कॉलेज विद्यार्थियों को ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स और इंटरनेट के माध्यम से लाइव क्लासेस प्रदान करते हैं। इस प्रकार, छात्रों को कहीं से भी और कभी भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। साथ ही, तकनीकी उपकरणों के माध्यम से छात्र अपनी गति से सीख सकते हैं, जिससे उनका सीखने का अनुभव अधिक प्रभावी और प्रासंगिक हो जाता है।

प्रेरणादायक और अनुभवात्मक शिक्षा (Experiential Learning): नई शैक्षणिक पद्धतियों में अनुभव आधारित शिक्षा को बहुत महत्व दिया जा रहा है। इस पद्धति में छात्रों को केवल पाठ्यक्रम से संबंधित ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन में उन सिद्धांतों को लागू करने का अवसर भी मिलता है। विद्यार्थियों को फील्ड ट्रिप्स, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा, हैंड्स-ऑन एक्सपीरियंस आदि के माध्यम से शिक्षा दी जाती है, ताकि वे सिद्धांत और अभ्यास को जोड़ सकें।

उदाहरण: यदि छात्र जीवविज्ञान पढ़ रहे हैं, तो उन्हें वन्यजीव संरक्षण के विषय पर एक अध्ययन यात्रा पर भेजा जा सकता है, जहां वे प्रकृति और जानवरों के बारे में अधिक जान सकते हैं। इससे वे कक्षा में पढ़ी गई बातों को वास्तविक जीवन में देख सकते हैं, और उनका ज्ञान और भी गहरा होगा।

समूह चर्चा और सहयोगी शिक्षा (Collaborative Learning): आजकल के शिक्षा प्रणाली में समूह कार्य और सहयोगात्मक शिक्षा को प्रमुख स्थान दिया जा रहा है। इस पद्धति में विद्यार्थियों को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि वे एक दूसरे से सीख सकें, समस्याओं का समाधान मिलकर ढूंढ़ सकें और टीमवर्क के महत्व को समझ सकें।

उदाहरण: विद्यार्थियों को किसी विशिष्ट समस्या पर काम करने के लिए समूह में बांटा जाता है, और वे मिलकर उस समस्या का समाधान प्रस्तुत करते हैं। इस प्रक्रिया में वे एक दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे उनकी सोच और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।

वैयक्तिकृत शिक्षा (Personalized Learning): एक विद्यार्थी का अध्ययन करने का तरीका और गति दूसरे से अलग हो सकती है। वैयक्तिकृत शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को उनकी क्षमता, रुचि और आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है। इस पद्धति में हर छात्र के लिए एक अलग रास्ता निर्धारित किया जाता है, ताकि वह अपनी गति से सीख सके।

उदाहरण: यदि किसी छात्र को गणित में कठिनाई हो रही है, तो शिक्षक उसे अतिरिक्त समय और संसाधन प्रदान कर सकते हैं, जबकि जिन छात्रों को गणित में दक्षता है, उन्हें अधिक चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर काम करने का अवसर मिलता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.12.2024-गुरुवार.
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