"धूप वाली मेज़ पर ताज़े फल और जूस"

Started by Atul Kaviraje, December 27, 2024, 10:00:45 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शुक्रवार मुबारक हो

"धूप वाली मेज़ पर ताज़े फल और जूस"

धूप में चमकती मेज़ पर रखे ताज़े फल, 🌞🍎
रंग-बिरंगे, मन को ललचाते जैसे रचनाएँ खुद। 🍇🍊
सूरज की किरणें और खुशबू फलों की,
जैसे हर पल में बसी हो पूरी दुनिया की छवि। 🌞🍒

आम, सेब, अंगूर और संतरे, 🍏🍊
सभी का स्वाद और रंग, दिल को भाते हैं प्यारे। 🍑🍓
हर एक फल में बसता है एक अनोखा जादू,
जिससे मिलती है ताजगी, और मन को मिलती है राहत। 🌱💫

ताज़े जूस की सौंधी महक, 🍹🌸
गुलाबी रंग में बसी एक अद्भुत झलक। 💖🍓
संतरे का रस, नींबू का तड़का, 🍋🍊
इनमें बसी है पूरी प्रकृति का स्वाद और व्यंजन। 🌼💧

मेज़ की धूप में बसी एक ख़ुशबू,
सभी फलों का संगम, जीवन की पूजा। 🌸🍉
एक-एक कटोरी, एक-एक ग्लास,
हमारे दिलों में उभरती है आनंद की आशा। 🥭💕

फलों का रस, ताजगी का अहसास,
दिल में बैठा हो जैसे सुकून का एक खास। 🌱🍇
जूस के घूंट में बसी है अमृत की बात,
सुकून पाता है हर एक जो पीता साथ। 🍹💧

सूरज की किरनें, फलों का स्वाद,
सपनों का संसार और ताजगी की ताज़ी याद। 🌞🍎
जैसे ये मेज़ पर बिखरी हों प्रकृति की छवि,
जिसमें बसा हो जीवन का सच्चा सुख और संतुलन। 🌻🌞

खुशबू, स्वाद और धूप में रौनक,
फलों का रस बना देता है दिन को एक संगीतमय ट्यून। 🎶🍍
हर घूंट और हर क़िस्सा, यही बताता है,
जीवन का असली स्वाद ताजगी से सिखाता है। 🥝🍉

धूप वाली मेज़ पर बैठ, ताज़े फलों का आनंद लें,
जो जीवन में स्वाद लाए, वो पल हमेशा संजोएं। 🌟🍓
खुश रहिए, ताजगी से भरिए, जीवन की मीठी बुनाई,
प्रकृति के हर स्वाद को चखिए, दिल से खीजिए। 💖🍊

     यह कविता धूप वाली मेज़ पर रखे ताज़े फलों और रस का आनंद लेने की महत्ता और उनके द्वारा जीवन में लाए गए ताजगी और संतुलन को दर्शाती है। यह कविता जीवन के सरल लेकिन महत्वपूर्ण सुखों को मान्यता देती है, जो हमें प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-27.12.2024-शुक्रवार.
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