"चाँदनी के नीचे शांत पहाड़ी घाटी"

Started by Atul Kaviraje, December 27, 2024, 11:44:11 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, शुक्रवार मुबारक हो

"चाँदनी के नीचे शांत पहाड़ी घाटी"

चाँदनी में बसी एक घाटी,
जहाँ शांति है, हर इक बाती। 🌙
पहाड़ों के बीच जो घेरते हैं,
रात के सन्नाटे में ये लहरते हैं। 🏞�

चाँद की रौशनी में वो चाँदी जैसे,
पानी की धार बहती है नाजुक से। 🌊
हर पत्थर, हर पेड़ कुछ कहता है,
इस रात का हर पल दिल में रमता है। 🌳

ठंडी हवाएँ धीरे-धीरे बहतीं,
हर ग़म को अपने साथ ले जातीं। 🍃
घाटी में गूंजती है एक शांत राग,
जो मन को दिलासा दे जाता है। 🎶

चाँद के नीचे वो नर्म सा उजाला,
लाता है दिल में एक मीठा-सा हाला। 🌜
पर्वतों से घिरी ये घाटी सच्ची,
कभी न हो दूर, हो हमेशा यही रचि। 🏔�

यह शांतता, यह धीरज की रात,
दिल से दिल की न कोई बात। ❤️
चाँदनी के नीचे सब कुछ शांत है,
एक नई उम्मीद, एक नई राह है। ✨

     यह कविता चाँदनी रात में पहाड़ी घाटी की शांति और सुंदरता को दर्शाती है। चाँद की रौशनी और ठंडी हवाएँ मन को सुकून देती हैं, और घाटी के बीचों-बीच बहे पानी की धारा जीवन के शांति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत होती है। कविता हमें यह संदेश देती है कि शांति और संतुलन में ही सच्ची खुशी और उम्मीद है। 🌙🍃

--अतुल परब
--दिनांक-27.12.2024-शुक्रवार.
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