"बालकनी से टिमटिमाती शहर की रोशनी"

Started by Atul Kaviraje, December 30, 2024, 12:15:54 AM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, रविवार मुबारक हो

"बालकनी से टिमटिमाती शहर की रोशनी"

बालकनी से देखता हूं, शहर की रोशनी को,
हर एक चमकती बत्ती में, बसी है एक कहानी को।
सड़कों पर दौड़ते लोग, अपनी राहों पर,
दूर से आती आवाज़ें, जैसे संगीत की बांसुरी पर। 🎶🌆

रोशनी की ये टिमटिमाहट, कहानियाँ सुनाती है,
हर बत्ती में, एक सपना बुनाती है।
कुछ यादें बसी हैं, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
हर घर की रोशनी, कुछ क़िस्सों से जुड़ी हुई। ✨🏙�

चाँद भी मुस्कुराता, जब देखता है ये दृश्य,
शहर की रोशनी में बसी है, एक अलग ही खुशबू।
ये रौशनियाँ सिर्फ़ चमकती नहीं,
ये हमारी उम्मीदों को भी उजागर करती हैं। 🌙💫

जो भी पास से गुज़रते हैं, वो इस रौशनी में खो जाते,
हर एक बत्ती, एक नए सफर की ओर बढ़ाते।
शहर के दिल में बसी हैं, ये टिमटिमाती लाइट्स,
हर एक पल में बसी होती हैं, अनगिनत रातों की दुआएँ। 🌃💭

बालकनी से देखता हूं, ये कभी न थमने वाली रौशनी,
मुझे याद दिलाती है, कि जीवन है एक सजीव कहानी।
हर लाइट की चमक, हर दिल का चहकना,
इन्हीं में बसी है हमारी पूरी दुनिया का सपना। 🌟🌠

     यह कविता बालकनी से दिखने वाली शहर की रोशनी को एक प्रतीक के रूप में देखती है। हर चमकती बत्ती, एक कहानी, एक सपना और उम्मीद का प्रतीक है। यह कविता हमें यह सिखाती है कि जैसे शहर की रोशनी हमें रास्ता दिखाती है, वैसे ही हमारी ज़िन्दगी में भी उम्मीद और संघर्ष की चमक हमेशा बनी रहती है।

चित्र, चिन्ह और इमोजी:
🌆✨🌙💫🏙�🎶🌃💭🌠

--अतुल परब
--दिनांक-29.12.2024-रविवार.
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