"रात में पहाड़ों से घिरी एक शांत झील"

Started by Atul Kaviraje, December 30, 2024, 11:54:13 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, सोमवार मुबारक हो

"रात में पहाड़ों से घिरी एक शांत झील"

रात का सन्नाटा, चाँद की रोशनी,
पहाड़ों से घिरी झील की शांति।
पानी में झलकता चाँद का चेहरा,
सब कुछ जैसे हो गया सुथरा। 🌙✨

पहाड़ खड़े, जैसे कोई साक्षी,
झील में रंगे शांति के जोशी।
हर बूँद का सुख, हर लहर का गीत,
जिंदगी की राह पर चलता यही रीत। 🏞�🌊

चाँद की रौशनी पानी में बसी,
हर लहर ने चाँद से बातें की।
पहाड़ों के बीच, यह झील शांत रही,
यह सन्नाटा, दुनिया से दूर चली। 🌑🌊

ठंडी हवा, कुछ शांत ख्वाब लाए,
पानी की लहरें धीरे-धीरे मुस्काए।
रात का समय, यह जादू सा लगे,
जब पहाड़ और झील में दिल रुक जाए। 🌬�💫

यह शांति कुछ खास, कुछ अलग है,
मन को सुकून, दिल को राहत है।
झील के पानी में जो हैं गहरे राज़,
वो कभी खुलते नहीं, बस रहते हैं साज़। 💖🌌

     यह कविता रात के समय, पहाड़ों से घिरी एक शांत झील का चित्रण करती है। यह झील अपने पानी में चाँद की रौशनी और पहाड़ों की शांति को समेटे हुए है। इस दृश्य में एक गहरी शांति और सुकून है, जो जीवन के संघर्षों से दूर एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है।

चित्र, चिन्ह और इमोजी:
🌙✨🏞�🌊🌬�💫🌑💖🌌

--अतुल परब
--दिनांक-30.12.2024-सोमवार.
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