"प्रकृति में दोपहर का योग सत्र"

Started by Atul Kaviraje, December 31, 2024, 08:18:59 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, मंगलवार मुबारक हो

"प्रकृति में दोपहर का योग सत्र"

दोपहर की धूप में, हल्की सी लहर,
प्रकृति के बीच, मिलती है एक नयी भव्य सहर। 🌞🌿
शरीर और आत्मा को, मिलता है सुख,
प्रकृति में योग करते, मन हो जाता है लघु। 🧘�♀️💖

वृक्षों की छांव में, ठंडी सी हवा,
शांति की तरंगें, दिल में भर देती हैं तब। 🌳🍃
सूरज की किरणें, जैसे एक वरदान,
प्रकृति में योग, मिलता है एक नया ज्ञान। ☀️✨

श्वास की गहरी लहरें, जैसे घटाएं शांत,
हर एक आसन में, मिलती है शक्ति अपार। 🌬�💪
वह शांतिपूर्ण लम्हा, आनंद से भरा,
प्रकृति के साथ योग, दिल को होता है खरा। 🌸🌱

आसमान का नीला रंग, धरती का हरा रंग,
योग की साधना में, हर दर्द हो जाता मंद। 🌈🌍
प्रकृति की गोदी में, हर कष्ट होता हल्का,
ध्यान में खो जाने से, मन होता महका। 💫🌿

ध्यान की गहराई, मन की शांति,
प्रकृति में योग, बनाता है हर दिन नई उम्मीद। 🧘�♂️🌸
दोपहर के समय में, जब सब कुछ शांत,
योग के साथ मिलता है जीवन का अनमोल आनंद। ✨💖

     यह कविता प्रकृति के बीच दोपहर के समय योग सत्र की शांति और आनंद को व्यक्त करती है। सूर्य की हल्की किरणें, वायु की ठंडक, और वृक्षों की छांव में शांति और आत्मिक शुद्धता मिलती है। योग शरीर और मन को संतुलित करता है, और प्रकृति की गोदी में ध्यान की गहराई से जीवन का आनंद मिलता है।

प्रतीक और इमोजी:

🌞 - सूर्यप्रकाश, उर्जा और सकारात्मकता
🌿 - प्रकृति, हरियाली और ताजगी
🧘�♀️ - योग, शांति और ध्यान
💖 - प्रेम, ऊर्जा और आनंद
🌳 - वृक्ष, शांति और स्थिरता
🍃 - ताजगी और गंध
🌬� - श्वास, वायु और शांति
🌸 - फूल, सौंदर्य और आनंद
🌱 - जीवन, नयी शुरुआत और विकास
💫 - ध्यान, शांति और आत्मा
🌍 - धरती, स्थिरता और संतुलन

--अतुल परब
--दिनांक-31.12.2024-मंगळवार.
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