बालश्रम समस्या एवं समाधान-

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2025, 12:10:03 AM

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Atul Kaviraje

बालश्रम समस्या एवं समाधान-

परिचय:

बालश्रम, एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो हमारे समाज में विशेष रूप से विकासशील देशों में बहुत प्रचलित है। बालश्रम का मतलब है बच्चों का काम में लगा रहना, खासकर उस उम्र में जब उन्हें खेलना और शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। यह समस्या केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी रोकती है। बालश्रम का प्रभाव केवल बच्चों पर ही नहीं, बल्कि समग्र समाज और राष्ट्र के भविष्य पर भी गहरा पड़ता है।

भारत में बालश्रम एक व्यापक समस्या है, जहां लाखों बच्चों को घरों, कारखानों, खेतों और कई अन्य कार्यस्थलों पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे गरीबी, अशिक्षा, और पारिवारिक दबाव। इस लेख में हम बालश्रम की समस्या, उसके कारणों और समाधान के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

बालश्रम की समस्या:
बालश्रम की समस्या का सामना करने वाले बच्चे ना केवल शारीरिक रूप से थक जाते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यधिक दबाव का सामना करते हैं। उनकी मानसिक और शारीरिक विकास प्रक्रिया रुक जाती है, और उन्हें शिक्षा का अवसर नहीं मिलता। इसके अलावा, बालश्रम के कारण बच्चों को लंबे समय तक किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक अवसर से वंचित रहना पड़ता है।

प्रमुख समस्याएँ:

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: बालश्रम से बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। जब बच्चों को कठोर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उनके शरीर पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह उनके शारीरिक विकास को रोकता है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है। मानसिक रूप से भी यह बच्चे बहुत तनाव में रहते हैं और उनका आत्मविश्वास घटता है।

उदाहरण: किसी बच्चे को दिन भर खेतों में काम करने के लिए भेजा जाता है। इस दौरान वह न केवल शारीरिक रूप से थकता है, बल्कि मानसिक रूप से भी वह असंतुष्ट रहता है। उसकी सारी ऊर्जा काम में खर्च होती है, जिससे उसका बच्चपन पूरी तरह से छिन जाता है।

शिक्षा से वंचित होना: बालश्रम के कारण बच्चों को स्कूल जाने का अवसर नहीं मिलता। यदि बच्चों को काम में व्यस्त रखा जाता है, तो उनकी पढ़ाई-लिखाई रुक जाती है। इसका असर उनके भविष्य पर पड़ता है क्योंकि शिक्षा के बिना कोई भी बच्चा समाज में अच्छी स्थिति प्राप्त नहीं कर सकता।

उदाहरण: गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय उनके माता-पिता उन्हें काम करने के लिए भेजते हैं। इस प्रकार, ये बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं, और भविष्य में वे ठीक से रोजगार प्राप्त करने के योग्य नहीं हो पाते।

सामाजिक और मानसिक विकास में रुकावट: बच्चों का मानसिक विकास उनके खेलकूद, दोस्ती, और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से होता है। जब बच्चों को बालश्रम में व्यस्त रखा जाता है, तो उनका यह विकास रुक जाता है। उनके पास न तो बचपन के अनुभव होते हैं, न ही दोस्तों के साथ खेलने का समय होता है, और न ही वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर पाते हैं।

बालश्रम के कारण:
गरीबी: भारत में बालश्रम की समस्या का मुख्य कारण गरीबी है। जब परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब होती है, तो वे बच्चों को काम करने के लिए भेज देते हैं ताकि वे घर की आमदनी में योगदान कर सकें। गरीब परिवारों के लिए यह अक्सर एक ज़रूरी विकल्प बन जाता है।

उदाहरण: एक गरीब किसान परिवार में, माता-पिता अपने बच्चों को खेतों में काम करने के लिए भेज देते हैं ताकि परिवार की आय बढ़ सके। वे यह सोचते हैं कि बच्चे काम करके घर की मदद करेंगे।

अशिक्षा: अशिक्षा भी बालश्रम के प्रमुख कारणों में से एक है। जब माता-पिता खुद अशिक्षित होते हैं, तो उन्हें बच्चों के शिक्षा के महत्व का एहसास नहीं होता। इसके कारण वे बच्चों को शिक्षा की बजाय काम में लगा देते हैं।

उदाहरण: एक परिवार में यदि माता-पिता खुद नहीं पढ़े-लिखे हैं, तो वे अपने बच्चों को भी शिक्षा की जगह काम में व्यस्त कर देते हैं, क्योंकि उन्हें यह समझ में नहीं आता कि शिक्षा भविष्य के लिए कितनी जरूरी है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-31.12.2024-मंगळवार.
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