श्रीमद्भगवदगीता में विष्णु का संदेश-1

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2025, 10:11:13 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

श्रीमद्भगवदगीता में विष्णु का संदेश-
(The Message of Lord Vishnu in the Bhagavad Gita)

परिचय:
श्रीमद्भगवदगीता, जो कि महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत आती है, एक अद्वितीय और दिव्य ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया। इस ग्रंथ में भगवान श्री कृष्ण ने भगवान विष्णु के रूप में अपना अवतार लिया और न केवल धर्म की स्थापना का संदेश दिया, बल्कि जीवन के उच्चतम उद्देश्यों, कर्तव्य, और आत्मज्ञान के संबंध में भी महत्वपूर्ण उपदेश दिए। श्रीमद्भगवदगीता में भगवान विष्णु ने जो संदेश दिया, वह न केवल अर्जुन के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है।

भगवान विष्णु का संदेश:
भगवान श्री कृष्ण ने गीता के संवाद में भगवान विष्णु के संदेश को विस्तार से समझाया, जिसे हम निम्नलिखित बिंदुओं में समझ सकते हैं:

धर्म का पालन (Duty to Uphold Dharma):
भगवान विष्णु का पहला और सबसे प्रमुख संदेश है कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करना चाहिए। गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, "तुम्हारा कर्तव्य है युद्ध करना, क्योंकि यह धर्म है।" जीवन में हम चाहे जो भी कार्य करें, वह हमारी धर्मनिष्ठा पर निर्भर करना चाहिए। धर्म का पालन करने से व्यक्ति का जीवन सही दिशा में मार्गदर्शित होता है।

उदाहरण:
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि युद्ध से भागने का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि वह अपनी कर्तव्यों से बचने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि अर्जुन ने युद्ध से पीछे हटकर कर्म से भागने का प्रयास किया, तो यह उसकी धर्म के प्रति निष्ठा का उल्लंघन होगा। इसी तरह से जीवन में हमारे प्रत्येक कार्य का धर्म से जुड़ा होना जरूरी है।

स्वधर्म का पालन (Following One's Own Duty):
भगवान विष्णु का दूसरा संदेश है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वधर्म का पालन करना चाहिए। स्वधर्म वह धर्म है जो किसी व्यक्ति के स्वभाव, क्षमता और स्थिति के अनुरूप होता है। गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, "स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह:" अर्थात अपने धर्म में मरना ही श्रेष्ठ है, जबकि दूसरों का धर्म अपनाने से भय पैदा होता है।

उदाहरण:
भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि उसे अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, भले ही युद्ध करना कठिन हो, लेकिन यही उसका स्वधर्म है। अर्जुन को यह समझाया कि वह क्षत्रिय है और युद्ध उसके लिए धर्म है, इसलिए उसे अपने स्वधर्म के अनुसार कार्य करना चाहिए।

भक्ति और ईश्वर में विश्वास (Devotion and Faith in God):
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भक्ति का महत्व बताया और कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर की पूजा करता है, वह भगवान के असीम अनुग्रह से लाभान्वित होता है। भगवान विष्णु ने यह भी बताया कि भक्ति से आत्मज्ञान प्राप्त होता है और व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करता है।

उदाहरण:
गीता के 9वें अध्याय में श्री कृष्ण कहते हैं, "मच्छित्त: सर्वदुर्गाणि मां एव शरणं गत:।" इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान के शरण में आता है, वह सारे संकटों से मुक्त हो जाता है और भगवान उसे अपनी कृपा से शरण देते हैं। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने भक्ति और विश्वास की शक्ति को उजागर किया।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.01.2025-बुधवार.
===========================================