शिव भक्त - रावण और शिव की करुणा-कविता:-

Started by Atul Kaviraje, January 20, 2025, 10:48:39 PM

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Atul Kaviraje

शिव भक्त - रावण और शिव की करुणा-कविता:-

🕉� शिव की भक्ति, रावण का संकल्प 🕉�

रावण ने किया शिव का ध्यान,
दस सिरों से हर बार चढ़ाया ज्ञान।
धैर्य और भक्ति से, किया संकल्प,
"शिव की कृपा से ही, बढ़ेगा मुझमें बल"। 🌿

हर सिर को किया चढ़ा,
ध्यान में रमा, दूर किया भरा।
शिव की कृपा की आस लगाई,
रावण ने तपस्या से खुद को साध लिया। 🪔

यमक
शिव का चरण, रावण ने पाया,
दया से दिल में, आशीर्वाद पाया। 💫

🙏 शिव की करुणा, रावण की सच्चाई 🙏
शिव बोले, "तू सच्चा है भक्त,
तेरी भक्ति में भरा है सच्चा रक्षक।
सिद्धी और शक्ति दूं तुझको,
पर ध्यान रख, गलत न हो तू।" 🌼

कडवा संदेश
शक्ति का दुरुपयोग न करना,
समाज में सदाचार बनाना।
तुझमें जो बल है, वह समझ,
दूसरों का भला कर, रख अपना संकल्प। 🔥

🕉� शिव का संदेश, रावण का उद्धारण 🕉�
"सच्ची भक्ति से हर बुराई दूर होगी,
कभी भी ईश्वर की दया कमजोर नहीं होगी।
जो अच्छे मार्ग पर चलेगा,
शिव की कृपा उसे सदा साथ मिलेगा।" 🌸

💧 रावण की पवित्र भक्ति 💧
वह रावण जो था राक्षसों का राजा,
शिव की भक्ति ने उसे बनाया सच्चा साधा।
रावण ने अपनी शक्ति से कष्टों को हराया,
लेकिन ईश्वर की भक्ति से सच्चाई का मार्ग पाया। 🌿

🔱 अंतिम मंत्र 🔱
शिव की भक्ति सच्ची हो,
रावण जैसा संकल्प हो।
सच्चे मार्ग पर चलें हम,
शिव की कृपा से हमें शांति मिले हरदम। 🙏

कविता का अर्थ:
यह कविता रावण की शिव भक्ति और शिव की करुणा को दर्शाती है। रावण ने शिव की कठोर तपस्या की, और भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद दिया। परंतु शिव का संदेश था कि शक्ति का दुरुपयोग न करें, और सच्ची भक्ति से ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी। रावण की भक्ति और शिव की कृपा के माध्यम से यह कविता हमें जीवन में संयम और अच्छे मार्ग पर चलने का संदेश देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-20.01.2025-सोमवार.
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