"गेहूँ के खेत पर हल्की हवा"-2

Started by Atul Kaviraje, January 21, 2025, 06:42:22 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, मंगलवार मुबारक हो

"गेहूँ के खेत पर हल्की हवा"

गेहूँ के ऊपर हल्की हवा,
जीवन की फुसफुसाहट, कोमल और मीठी।
खुली हवा में सुनहरे दाने,
बिना किसी चिंता के, शालीनता से झूमते हुए।

सूरज की गर्म किरणें धीरे से चूमती हैं,
प्रकृति की सिम्फनी, एक पूर्ण आनंद।
पृथ्वी एक शांत धुन गुनगुनाती है,
जैसे हवा चाँद के नीचे नाचती है। 🌙

खेतों के बीच से, गेहूँ नीचे झुकता है,
एक सूक्ष्म अनुस्मारक कि हम कैसे बढ़ते हैं।
तूफ़ानों और रोशनी के बीच से,
हम अपनी ताकत पाते हैं, दिन और रात। 💪

हवा अनकही कहानियाँ लेकर आती है,
प्राचीन काल की, साहसी दिलों की।
यह मौसमों, परिवर्तन और प्रवाह की बात करती है,
कि जीवन कैसे घटता है, और कैसे बढ़ता है। 🌱

गेहूँ पक चुका है, फ़सल नज़दीक है,
लेकिन यह यात्रा है जिसे हम प्रिय मानते हैं।
कोमल हवा की फुसफुसाहट के माध्यम से,
हम अपनी शांति, अपने दिल को सुकून पाते हैं। 💖

अर्थ:
यह कविता प्रकृति की सुंदरता, गेहूँ के खेत की शांति और शांति और ज्ञान लाने वाली कोमल हवा को दर्शाती है। यह विकास, लचीलापन और गंतव्य पर यात्रा के महत्व की याद दिलाती है।

प्रतीक और इमोजी: 🌾💨🌙🌱💪💖

--अतुल परब
--दिनांक-21.01.2025-मंगळवार.
===========================================