प्रौद्योगिकी के युग में स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना-1

Started by Atul Kaviraje, January 21, 2025, 11:00:01 PM

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Atul Kaviraje

प्रौद्योगिकी के युग में स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना-

आज के समय में प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन को सरल और सुविधाजनक बना दिया है। इंटरनेट, स्मार्टफोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और स्वचालन जैसी तकनीकों ने न केवल हमारी कार्यशैली को प्रभावित किया है, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नए बदलावों को जन्म दिया है। हालांकि, जहां प्रौद्योगिकी ने अनेक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है, वहीं इसके साथ कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी उभरी हैं, जिन्हें हमें अब सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम उन स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करेंगे और उनके समाधान पर भी विचार करेंगे।

प्रौद्योगिकी के प्रभाव और स्वास्थ्य समस्याएं

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं:
आजकल स्मार्टफोन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। लोग दूसरों की जीवनशैली से तुलना करते हैं, जिससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। "फोमो" (FOMO - Fear of Missing Out) यानी दूसरों से पीछे रह जाने का डर, एक सामान्य मानसिक समस्या बन गई है। इसके परिणामस्वरूप नींद की कमी, थकान और मानसिक अवसाद जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

आंखों की समस्याएं:
स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरणों के अधिक उपयोग से आंखों पर दबाव पड़ता है। इससे "डिजिटल आई स्ट्रेन" (Digital Eye Strain) जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है, जिसमें आंखों में जलन, सूजन, धुंधला दृष्टि और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं:
प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव ने शारीरिक श्रम को कम कर दिया है। लोग अब बैठकर काम करने वाले कार्यों में अधिक समय व्यतीत करते हैं, जिससे मोटापा, रक्तचाप, शर्करा की समस्या और हृदय रोग जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। "स्मार्टफोन की बीमारी" भी एक नए दौर की बीमारी बन चुकी है, जिसमें अधिक समय तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से शारीरिक दर्द, गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य:
प्रौद्योगिकी, विशेषकर सोशल मीडिया, ने व्यक्ति के आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास पर गहरा प्रभाव डाला है। लोग अपने वास्तविक जीवन को सोशल मीडिया पर प्रस्तुत करते हुए दूसरों से खुद की तुलना करने लगते हैं। इससे आत्मविश्वास में गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ने लगी हैं। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग युवाओं में सामाजिक अलगाव, अकेलापन और मानसिक तनाव का कारण बन रहा है।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक युवा जो दिनभर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहता है। वह समय-समय पर दूसरों के जीवन को देखता है और अपनी तुलना करता है। धीरे-धीरे उसे लगता है कि वह किसी से पीछे रह गया है, और इसका मानसिक असर उस पर पड़ने लगता है। इसके कारण वह मानसिक अवसाद का शिकार हो जाता है। इस प्रकार के उदाहरण हम रोजमर्रा की जिंदगी में देख सकते हैं।

लघु कविता:

**"प्रौद्योगिकी का यह जाल,
स्वास्थ्य को बना रहा बेमाल।
आंखों में जलन, सिर में दर्द,
मानसिक तनाव की बढ़ती कड़वाहट।

सोशल मीडिया की छांव में,
गुम हो गया जीवन का ताल।
शारीरिक श्रम की कमी से,
हमें मिल रहा है बस दर्द का हाल।"**

कविता का अर्थ:

यह कविता हमें प्रौद्योगिकी के प्रभावों के बारे में जागरूक करती है। कविता में यह दिखाया गया है कि कैसे अत्यधिक डिजिटल उपकरणों का उपयोग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा है। आंखों में जलन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसे लक्षण बढ़ रहे हैं। साथ ही, सोशल मीडिया की दुनिया में खो जाने से वास्तविक जीवन के रिश्तों और शारीरिक श्रम की कमी की समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। यह कविता हमें इस दिशा में जागरूक करती है कि हमें प्रौद्योगिकी के फायदे के साथ-साथ इसके खतरों से भी बचने की जरूरत है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-21.01.2025-मंगळवार.
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