विठोबा: महाराष्ट्र के एक देवता-1

Started by Atul Kaviraje, January 22, 2025, 11:20:22 PM

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Atul Kaviraje

विठोबा: महाराष्ट्र के एक देवता-

विठोबा, जिन्हें पंढरपूर के विठोलेश्वर या पंढरपूर के विठोबा के रूप में भी पूजा जाता है, महाराष्ट्र राज्य के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उन्हें "विठोबाजी" या "विठोबा" के नाम से जाना जाता है, और वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। विठोबा की पूजा महाराष्ट्र, कर्नाटका, गोवा और अन्य दक्षिणी भारतीय राज्यों में विशेष रूप से की जाती है। यह देवता विशेष रूप से भक्ति मार्ग के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं, और उनके भक्त उनके नाम का जप करते हुए अपने जीवन को संपूर्ण और परिपूर्ण मानते हैं।

विठोबा का धार्मिक महत्व
विठोबा का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उनका जीवन और उपासना भारतीय भक्ति आंदोलन के एक प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके भक्तों का विश्वास है कि वे सभी वर्गों और जातियों के लिए समान हैं। वे हर व्यक्ति के दिल में निवास करते हैं, और उनके प्रति पूर्ण भक्ति और विश्वास से व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है।

विठोबा की पूजा में "रामकृष्ण हरिविठोबा" या "विठोबा का महामंत्र" का उच्चारण बहुत सामान्य है। उनके पूजा के समय "हरि हरि" का गान किया जाता है, जो उनकी भक्ति के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। पंढरपूर, महाराष्ट्र में स्थित उनका मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ लाखों भक्त हर साल जाते हैं। वहाँ उनकी पूजा में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

विठोबा की कथा
विठोबा की कथा को लेकर कई धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं का संग्रह है, जिनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ 'विठोबा पुराण' और 'भागवत पुराण' में मिलती हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान विठोबा पंढरपूर में एक छोटे से मंदिर में निवास करते हैं। कहा जाता है कि वे एक साधारण, गरीब और दुखी व्यक्तित्व के रूप में दिखाई देते हैं, जिनके चरणों में कोई भेदभाव नहीं होता। वे सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं।

विठोबा का प्रसिद्ध मंदिर पंढरपूर में स्थित है, जहां उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। विशेष रूप से "पंढरपूर वारी" (पंढरपूर की यात्रा) एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है। यह यात्रा विशेष रूप से महाराष्ट्र के संतों और भक्तों द्वारा की जाती है, जिनमें संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वरी, संत एकनाथ और संत रामदास जैसे महान संतों का नाम शामिल है। इन संतों ने विठोबा की भक्ति को संपूर्ण महाराष्ट्र में फैलाया।

विठोबा और भक्ति मार्ग
विठोबा की भक्ति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उन्होंने भक्ति मार्ग को सामान्य लोगों तक पहुँचाया। उनका भक्ति मार्ग जाति-पांति और सामाजिक भेदभाव से मुक्त था। वे केवल भक्ति और प्रेम में विश्वास करते थे और यही कारण था कि उनके भक्तों में हर वर्ग के लोग शामिल थे।

संत तुकाराम की भक्ति का एक प्रसिद्ध उदाहरण है। वे विठोबा के परम भक्त थे और उनके भक्ति गीत (Abhangs) आज भी महाराष्ट्र के जनमानस में गाए जाते हैं। उनका विश्वास था कि भगवान विठोबा का नाम जपने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। संत तुकाराम ने विठोबा के प्रति अपनी सम्पूर्ण भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हुए कई अभंग लिखे। उनके अभंगों में विठोबा के प्रति गहरी प्रेम भावना और समर्पण को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है।

विठोबा का सामाजिक योगदान
विठोबा ने न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव को नकारते हुए समानता का संदेश दिया। वे कहते थे कि किसी भी व्यक्ति का धर्म उसकी जाति या संप्रदाय से नहीं, बल्कि उसके कर्म और उसके दिल से जुड़ा होता है।

विठोबा का यह दृष्टिकोण समावेशी था, और उनके अनुयायी किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से हो सकते थे। यही कारण है कि विठोबा के भक्तों में सभी प्रकार के लोग, चाहे वे ब्राह्मण हों या शूद्र, संत या आमजन, सभी शामिल थे। यह संदेश उन्होंने अपने जीवन और भक्ति के माध्यम से दिया था कि भक्ति के मार्ग में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

विठोबा की पूजा और उत्सव
विठोबा के पूजा अनुष्ठान में बहुत सी भक्ति रसों और सरल उपायों का समावेश है। "पंढरपूर वारी" एक प्रमुख वार्षिक यात्रा है जिसमें लाखों भक्त श्रद्धा भाव से विठोबा के दर्शन के लिए पंढरपूर आते हैं। इसमें पंढरपूर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में विशेष धार्मिक उत्सव होते हैं। विठोबा के प्रति भक्ति का कोई भी रूप चाहे वह स्तुति हो, गीत हो, या तिथि पूजा, सभी विधियाँ भक्तों को सुख, शांति और मानसिक संतोष देती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.01.2025-बुधवार.
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